पर्यावरण के लिए लिहाज से साल 2020 जितना ऐतिहासिक रहा, वर्ष 2021 उतना ही निचले स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली में बीते साल पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए थे. प्रदूषण लगभग शून्य के स्तर पर पहुंच गया था. लॉकडाउन की वजह से हवा की गुणवत्ता इतनी अच्छी रही कि इंसान ही नहीं, पशु पक्षियों को भी नीला आसमान नसीब हुआ. मगर इस साल एक बार फिर दमघोटू वातावरण सामने देखने को मिल रहा है. पराली भी खूब जली. समय रहते प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किए गए और जब प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा तो नए-नए प्रतिबंध लगाए गए. पूरे साल में सिर्फ 18 अक्टूबर को दिल्ली वासियों को साफ हवा मिली. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) आज 347 (बहुत खराब श्रेणी में) दर्ज किया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का वायु गुणवत्ता सूचकांक शनिवार को शून्य से 500 के पैमाने पर 431 रहा. जबकि एक दिन यानि शुक्रवार को यह 415 था, वहीं गुरुवार को यह 423 के आंकड़े पर था. हालांकि, मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में दिल्ली में बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे दिल्ली की हवा में सुधार की संभावना है. इस साल जनवरी से दिसंबर तक हर माह बीते सालों की तुलना में कहीं अधिक प्रदूषण देखने को मिला. अक्टूबर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई, इस दौरान प्रदूषण का स्तर थमा रहा. यहां पर एक दिन एयर इंडेक्स महज 46 के स्तर पर दर्ज हुआ. लोगों को अच्छी हवा नसीब हुई. मगर नवंबर और दिसंबर में अक्टूबर की कसर पूरी हो गई. इस साल मानसून में भी हवा की गुणवत्ता पर कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला.कहने को दिल्ली सरकार ने 10 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान तैयार किया लेकिन उसका असर नजर नहीं आया.
As pollution levels in #Delhi remained in the 'severe' category for the sixth day in a row, the @Indiametdept (#IMD) has predicted a cloudy sky with light rain in the national capital on Sunday. pic.twitter.com/BOqm1gJ2Jn
— IANS Tweets (@ians_india) December 26, 2021
निजी वाहनों पर निर्भरता अभी भी समस्या
दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली का धुआं ही नहीं वाहन भी जिम्मेदार हैं. साल दर साल 5.81 फीसद की दर से राजधानी में निजी वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है. यह संख्या डेढ़ करोड़ के आंकड़े को छू रही है. दिल्ली में सबसे अधिक दोपहिया वाहन और उसके बाद कारें पंजीकृत हैं. यहां तक की डीजल वाहनों की बात है तो इनकी संख्या निजी वाहनों में काफी ज्यादा है. प्रदूषण में इजाफे के लिए ये प्रमुख रूप से जिम्मेदार है.
लैंडफिल की ऊंचाई घटाने की कोशिश
राजधानी की तीनों लैंडफिल साइट का मशीनों के जरिए ऊंचाई घटाने का कार्य जारी है. 12 से 16 मीटर तक की ऊंचाई घटाने में निगमों को सफलता भी मिली है.
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार की तैयारी
-पराली प्रबंधन: 4200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में संयुक्त हार्वेस्टर का उपयोग कर धूल-विरोधी अभियान चलाया गया.
-एंटी डस्ट कैंपेन: निर्माण स्थलों के नियमित निरीक्षण को लेकर 75 टीमें गठित. सभी बड़े निर्माणस्थलों पर एंटी स्माग गन का उपयोग.
-खुले में कचरा जलाना: 250 टीमें दिन रात निगरानी कर रही हैं.
-पटाखे: पटाखों की बिक्री और उपयोक पर 31 दिसंबर 2021 तक रोक.
-स्माग टावर: दो वर्ष तक कनाट प्लेस में लगाए जाने वाले स्माग टावर को लेकर परीक्षण जारी है.
- ग्रीन वार रूम: शिकागो विश्वविद्यालय और जीडीआइ पार्टनर्स की मदद से प्रोग्राम मैनेजमेंट टीम (पीएमयू) का गठन. विशेषज्ञों और युवा पेशेवरों के लिए ग्रीन फेलोशिप. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) में होगी 50 नए पर्यावरण इंजीनियरों की भर्ती.
- ग्रीन दिल्ली एप: एंड्राएड एप के एक नए अपग्रेडेड वर्जन को सामने लाया गया.
- वाहन प्रदूषण: 64 जाम वाली सड़कों की पहचान हुई. पीयूसीसी जांचने को लेकर 500 कर्मियों की तैनाती. पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का अभियान जारी है.
HIGHLIGHTS
- पूरे साल में सिर्फ 18 अक्टूबर को दिल्ली वासियों को साफ हवा मिली
- इस साल जनवरी से दिसंबर तक बीते सालों की तुलना में अधिक प्रदूषण देखने को मिला
- दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली का धुआं ही नहीं वाहन भी जिम्मेदार हैं