कांग्रेस विधायक दिगंबर कामत ने मंगलवार को कहा कि गोवा विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा, इसका फैसला पार्टी आलाकमान करेगा. पिछले सप्ताह नेता प्रतिपक्ष चन्द्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में कांग्रेस के 10 विधायकों ने भाजपा में विलय कर लिया था, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आयी कांग्रेस के पास अब महज पांच विधायक बचे हैं. गोवा विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ, जिसमें नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली दिखी.
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विधानसभा परिसर के बाहर कामत ने आज संवाददाताओं से कहा कि गोवा कांग्रेस प्रभारी ए. चेल्लाकुमार पांचों विधायकों से मुलाकात के बाद दिल्ली गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता का फैसला दिल्ली में होगा.
सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी कांग्रेस
इससे पहले गोवा में कभी ताकतवर राजनीतिक हैसियत रखने वाली कांग्रेस अब वजूद की लड़ाई लड़ रही है. जिस पार्टी ने साल 2017 में हुये विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 17 सीटों पर कब्जा जमाया था वहां उसके 5 ही विधायक बचे हैं. विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में पिछले दिनों 10 विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. बीते दो-ढाई सालों में कांग्रेस बीजेपी के हाथों 13 विधायक गंवा चुकी है.
साल 2017 में कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे पार्टी के रूप में उभरी और तब भगवा पार्टी के पास महज 13 विधायक थे पर इसके बाद भी वे सरकार बनाने में इसलिए सफल रहे क्योंकि उन्हें तब क्षेत्रीय दलों के और निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल गया था. कांग्रेसी खेमे का दरख़्त दरकने का सिलसिला वालोपी विधायक विश्वजीत राणे से शुरू हुआ.
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उन्होंने मार्च 2017 में निर्वाचन के तुरंत बाद कांग्रेस छोड़ी और अप्रैल में बीजेपी में शामिल हो गए. महज पांच दिन बाद तब के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया. कांग्रेस 17 से घटकर 16 पर आ गई. राणे ने उपचुनाव जीत कर दर्ज मतदाताओं का भरोसा भी हासिल कर लिया. कांग्रेस को दूसरा झटका अक्टूबर 2018 में तब लगा जब उसके दो विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते बीजेपी में चले गये. कांग्रेस का स्कोर एक फिर घटकर 14 पर पहुंच गया. बीजेपी के लिए समस्या तब हुई, जब पर्रिकर और एक अन्य विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया. इससे भाजपा के विधायकों की संख्या दर्जन भर रह गई थी.
Source : Bhasha