गोवा विधानसभा में बुधवार को अवैध खनन से राज्य को सिर्फ 50 से 100 करोड़ रुपये का नुकसान होने का बयान पहले देने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने थोड़ी देर बाद कहा कि वास्तव में यह घोटाला 3,500 से 4,000 करोड़ रुपये का है।
न्यायमूर्ति एम.बी.शाह ने इस घोटाले के 35,000 करोड़ रुपये के होने का अनुमान जाहिर किया है।
उन्होंने कहा कि 50 से 100 करोड़ रुपये की राशि राजस्व नुकसान के एक पहलू तक सीमित है, जो खनन क्षेत्र की अवैध गतिविधियों की वजह से हुई है।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि खनन का नुकसान सिर्फ 100 करोड़ रुपये हैं। मैंने कहा था कि मैंने 300 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए हैं। अगर मैंने कहा था कि नुकसान 100 करोड़ रुपये है तो मैंने कैसे 300 करोड़ रुपये रिकवर कर लिया। दस अलग तरह के नुकसान के क्षेत्रों में से एक खास क्षेत्र में नुकसान शाह आयोग के संकेत की तरह नहीं है।
विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान बोलने के बाद पर्रिकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'नुकसान उस समय के दौरान निकाले गए अयस्क व निर्यात के बीच अंतर, खनन के ढेर की वजह से है।'
उन्होंने कहा, 'पीएसी (लोक लेखा समिति) की 3,500 से 4,000 करोड़ रुपये के सरकार को नुकसान की रिपोर्ट सही है, और इसके अनुसार उन्होंने (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की समिति) 1,500 से 2000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान किया है।'
पर्रिकर ने कहा, 'आखिरकार नुकसान क्या है और क्या नुकसान को तर्कसंगत ठहराया जा सकता है, उसी के अनुसार रिकवरी की जाएगी।' पर्रिकर 2011 के दौरान विपक्ष के नेता के तौर पर इस समिति रिपोर्ट के लेखक थे।
उन्होंने कहा, 'कुछ नुकसान पर विशेष जांच टीम स्पष्टीकरण मांग रही है। बहुत से लोग फरार हैं। एसआईटी ने आठ मामलों में आरोप लगाए हैं। एसआईटी व चार्टर्ड एकाउंटेंट की एक टीम कुल नुकसान का आकलन करेगी, जो मेरे अनुसार करीब 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये का है।'
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मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्ति एम.बी.शाह आयोग द्वारा गोवा खनन घोटाले के 35,000 करोड़ रुपये होने के अनुमान को गलत बताया। उन्होंने दावा किया कि आयोग द्वारा सर्वेक्षण कर जुटाया गया आंकड़ा गलत है।
पर्रिकर ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस विधायक लुजिन्हो फ्लेरियो के सवाल के जवाब में कहा, 'शाह आयोग की रिपोर्ट हैंड-हेल्ड गजेट्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है। उन्होंने एक उचित सर्वेक्षण नहीं किया है। उन्हें एक उचित सर्वेक्षण करना चाहिए।'
पर्रिकर के पास खनन विभाग भी है। उन्होंने कहा कि आयोग का अनुमान है कि पट्टे की सीमाएं खनन कंपनियों द्वारा बदल दी गईं और अतिरिक्त 580 हेक्टेयर जमीन उनके द्वारा ले ली गई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कराए गए एक विस्तृत सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि सिर्फ 10 हेक्टेयर जमीन खनन कंपनियों द्वारा कब्जा की गई थी।
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पर्रिकर ने कहा, 'शाह आयोग का सर्वेक्षण गलत है। उन्होंने कहा कि निकाले गए अयस्क की कुल कीमत सरकार के नुकसान को नहीं दिखाती है, इस तरह से अयोग द्वारा अनुमानित नुकसान कम हो जाता है।'
उन्होंने कहा कि गोवा के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनन क्षेत्र द्वारा अर्जित राजस्व का घटक 2012 की तुलना में 2018 में सिर्फ पांच फीसदी था।
गोवा में खनन पर राज्य व केंद्र सरकार के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में रोक लगाई है। शीर्ष अदालत ने वर्ष 2012 के प्रतिबंध को वर्ष 2014 में हटा लिया था।
पर्रिकर ने यह भी कहा कि गोवा में खनन की जल्द बहाली भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। गोवा में फरवरी में खनन पर प्रतिबंध था।
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Source : IANS