गोवा (Goa) के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर (Goa CM Manohar Parrikar) का रविवार 17 मार्च को उनके निजी निवास पर निधन हो गया. वह पिछले एक साल से अधिक समय से कैंसर से जूझ रहे थे. पर्रिकर एडवांस्ड पैंक्रियाटिक कैंसर से ग्रस्त थे, जिसका पता पिछले साल फरवरी में चला था. उसके बाद उन्होंने गोवा, मुंबई, दिल्ली और न्यूयॉर्क के अस्पतालों में इलाज कराया. देश की निस्वार्थ सेवा करते हुए आखिरी सांस लेने वाले मनोहर पर्रिकर लाइफ और पॉलिटिक्स में फाइटर रहे.
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नवंबर 2014 से मार्च 2017 तक मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री के पद पर रहे. भारतीय फौज का पीओके (POK) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को कौन भुला सकता है, तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ही थे. यही नहीं म्यांमार में घुसकर जब आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक किया, तब भी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ही थे.
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18 सितंबर 2016 उरी कैंप पर हुआ आतंकी हमला
18 सितंबर को जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय सेना की 12 ब्रिगेड के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेशन पर हमला किया. हमले में 19 जवान शहीद. मौके पर मारे गए आतंकियों से जब्त जीपीएस सेट्स से हमलावरों के पाकिस्तान से जुड़ाव का पता चला. उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए लोगों ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की. उरी आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर थी. चारो ओर से पाकिस्तान और आतंकियों को सबक सिखाने की मांग उठ रही थी. इसी बीच तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अहम रोल अदा किया. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सहयोग में सेना ने पाक और आतंकियों को सबक सिखाने की रणनीति बनाई.
28-29 सितंबर को हुआ ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक
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सेना ने मीडिया को बताया था कि कैसे इस स्ट्राइक की प्लानिंग बनी और कैसे इसे अंजाम दिया गया. इस पूरे ऑपरेशन में मनोहर पर्रिकर की अहम भूमिका थी. इस ऑपरेशन में सेना PoK में तीन किलोमीटर अंदर घुसी और आतंकियों का खात्मा कर वापस आई. पूरे ऑपरेशन के दौरान रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और पीएम मोदी पल-पल का अपडेट लेते रहे और सेना का हौसला बढ़ाते रहे.
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले जून 2015 में भी मणिपुर के चंदेल में उग्रवादियों ने हमला कर सेना के 18 जवानों की जान ली थी. इस हमले के बाद बाद म्यांमार सीमा में घुसकर भारतीय फौज के पैराकमांडो ने उग्रवादियों के दो कैंप तबाह कर दिए. इस ऑपरेशन में करीब 100 उग्रवादी मारे गए.
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इस ऑपरेशन के कर्ता-धर्ता भी मनोहर पर्रिकर ही थे. सेना को आतंकियों और उग्रवादियों पर कार्रवाई की पूरी छूट दी गई थी. जोश और जज्बे से भरपूर सेना ने प्रोफेशनल तरीके से अपने काम को अंजाम दिया. मनोहर पर्रिकर के निधन से सेना और देश ने अपने एक ऐसे नायक को खो दिया है, जो हमेशा से सेना की जरूरतों और देश के लोगों का ख्याल रखता था.
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Source : News Nation Bureau