गुजरात सरकार ने बुधवार को गुजरात में म्यूकोर्मिकोसिस की अधिसूचित महामारी के इलाज और प्रोटोकॉल में एकरूपता लाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एक अध्ययन जारी किया जिसमें कहा गया है कि 50 प्रतिशत से अधिक म्यूकोर्मिकोसिस रोगी फंगल संक्रमण से लड़ने के लिए स्टेरॉयड की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाते हैं. केंद्र सरकार की डवाइजरी के बाद गुजरात सरकार ने म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. देश में म्यूकोर्मिकोसिस के आधे से ज्यादा मरीज गुजरात से हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने बुधवार को फंगस उपचार और प्रोटोकॉल में एकरूपता लाने के लिए ग्यारह सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है.
इस तरह प्रभावित कर रहा म्यूकोर्मिकोसिस
इस बीच, राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराये जाने वाले म्यूकोर्मिकोसिस रोगियों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग एक रिपोर्ट लेकर आया है जिसके आधार पर दावा किया गया है कि पचास प्रतिशत से अधिक (50.5 प्रतिशत) रोगियों को स्टेरॉयड के उपयोग की आवश्यकता नहीं थी. साथ ही 66.5 मरीजों को इलाज के लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी. यह भी देखा गया कि 59 प्रतिशत रोगियों में मधुमेह के रोगी थे, 27.1 प्रतिशत रोगियों में इम्यूनों से समझौता किया गया था और 15.2 प्रतिशत रोगियों में गंभीर बीमारी वाले थे. यह भी देखा गया कि 67.1 प्रतिशत रोगी पुरुष थे जबकि केवल 32.9 प्रतिशत महिलाएं थीं. एक प्रतिशत से कम (0.5) में 18 वर्ष से कम आयु के रोगी शामिल थे, 28.4 प्रतिशत 18 से 45 वर्ष की आयु के थे, म्यूकोर्मिकोसिस के अधिकतम रोगी 45 से 60 वर्ष के थे, जिनमें 46.3 प्रतिशत और 24.9 प्रतिशत में साठ वर्ष से अधिक आयु के रोगी शामिल थे.
गुजरात के सीएम ने गठित की टास्क फोर्स
सीएम की ओर से गठित टाल्क फोर्स में डॉ गिरीश परमार, अतिरिक्त निदेशक और अहमदाबाद सरकारी डेंटल कॉलेज के डीन, डॉ कमलेश उपाध्याय, मेडिसिन, बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद, डॉ बेला प्रजापति, ईएनटी, बीजे मेडिकल कॉलेज, डॉ हंसा ठक्कर, नेत्र रोग विशेषज्ञ, एम एंड जे, नेत्र विज्ञान संस्थान, डॉ अश्विन वसावा, मेडिसिन, सूरत गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, डॉ आनंद चौधरी, ईएनटी, सूरत गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, डॉ बीआई गोस्वामी, मेडिसिन, एमपी शाह, जामनगर मेडिकल कॉलेज, डॉ सेजल मिस्त्री, ईएनटी, पीडीयू मेडिकल कॉलेज, राजकोट , डॉ नीति शेठ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, पीडीयू मेडिकल कॉलेज, राजकोट, डॉ सुशील झा, ईएनटी और डॉ नीलेश वी पारेख, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दोनों सरकारी मेडिकल कॉलेज, भावनगर से शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- 50 फीसदी रोगियों को नहीं पड़ी स्टेरॉयड की जरूरत
- इनमें भी 59 प्रतिशत मधुमेह के रोगी थे
- 27.1 प्रतिशत रोगियों में इम्यूनों से समझौता किया
Source : IANS/News Nation Bureau