कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने देश में कोरोना वायरस संकट के वक्त कुछ समूहों पर समाज में घृणा फैलाने का आरोप लगाया और सरकार से ऐसे समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. पटेल ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा कि यह बेहद खेदजनक है कि कुछ गुट कोरोनावायरस (Corona Virus) महामारी के संकट के समय संवेदनशील मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पटेल ने गुजराती भाषा में कहा, ऐसे वक्त में प्रशासन को बेहद सावधान रहने की जरूऱत है. मुझे लगता है कि ऐसे समूह अथवा व्यक्ति जो संवेदनशील मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, चाहे कोई भी किसी भी जाति, समुदाय या किसी भी धर्म का हो, ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. कांग्रेस नेता ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर उनका इशारा उन घटनाओं पर था जहां कुछ दक्षिण पंथी समूहों ने निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यक्रम के संबंध में एक खास समुदाय पर निशाना साधा और उसका संबंध कोरोना वायरस फैलने से जोड़ा. पटेल ने कहा, अगर हम आपस में लड़ेंगे तो कोरोना वायरस को मात नहीं दे पाएगे. बहुत से लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल अच्छे संदेश फैलाने के लिए करते हैं लेकिन कुछ लोग इसका इस्तेमाल घृणा फैलाने के लिए करते हैं, सरकर को ऐसे इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए.
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उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं से कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट पर राजनीति नहीं करने की अपील की. उन्होंने कहा,‘‘सरकार ने चिकित्सकों और नर्सों के लिए पीपीई मुहैया कराई हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं. अग्रिम मोर्चे पर तैनात प्रत्येक कर्मी को पीपीई दी जानी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि बंद से प्रवासी कामगार बेहद प्रभावित हुए हैं और गरीबों की मदद करना समाज के संभ्रांत वर्ग का कर्तव्य है.
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उन्होंने कहा, प्रवासी मजदूर कई स्थानों पर फंसे हुए हैं. लॉकडाउन की शुरुआत में वे पैदल ही घर के लिए निकल पड़े. उनमें कुछ घर पहुंच गए, कुछ को रास्ते में रोक लिया गया जबकि अन्य अपने कार्यस्थलों पर ही फंसे हुए हैं. पटेल ने कहा कि सभी लोगों को चिकित्सकों, नर्सों, पुलिस, सफाईकर्मियों, सब्जी बेचने वालों और अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करने वालों के साथ सम्माजनक व्यवहार करना चाहिए.