कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को 2015 के राजद्रोह मामले में निचली अदालत में उपस्थित नहीं होने पर गिरफ्तार होने के चार दिन बाद जमानत मिल गई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बीजी गणात्रा ने हार्दिक पटेल को इस शर्त पर जमानत दी कि वह अदालती कार्यवाही में सहयोग करेंगे और जब तक कोई वाजिब कारण नहीं होगा तब तक स्थगन नहीं लेंगे. अदालत 24 जनवरी को राजद्रोह के मामले की अगली सुनवाई करेगी.
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पिछले शनिवार को न्यायाधीश गणात्रा ने पाटीदार नेता के सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं होने पर हार्दिक पटेल के खिलाफ सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इसके बाद अहमदाबाद जिले के वीरमगाम से जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अदालत ने पाया था कि पटेल सुनावई के दौरान सहयोग न करके अपनी जमानत की शर्तों की अवज्ञा कर रहे थे. अहमदाबाद में 25 अगस्त 2015 को पटेल समुदाय की एक रैली के दौरान हिंसा भड़कने के बाद स्थानीय अपराध शाखा ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर पटेल को पहले भी गिरफ्तार किया था.
बता दें कि कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को गुजरात स्थित विरमगांव के पास हासलपूर से गिरफ्तार कर लिया गया है. उनको राजद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में कोर्ट ने हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था और 24 जनवरी को हाजिर होने को कहा था. हालांकि, उनको पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है. कोर्ट ने हार्दिक पटेल को 24 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
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अहमदाबाद की एक अदालत ने कांग्रेस में शामिल हो चुके पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के पूर्व संयोजक हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. अदालत ने सुनवाई के दौरान बारबार गैरमौजूद रहने के कारण ऐसा किया है. गैर जमानती वारंट जारी होने पर पुलिस ने हार्दिक पटेल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां कोर्ट ने उसे 24 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.