कांग्रेस नेता अहमद पटेल के राज्यसभा के लिए निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की प्रति अदालत के रिकार्ड से गुम होने के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इसकी जांच के आदेश दिये. इसका पता उस समय चला जब न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के सामने चुनाव याचिका दायर करने वाले बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) नेता बलवंतसिंह राजपूत से पूछताछ चल रही थी. जब प्रति नहीं मिली तो न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को जांच करने तथा आठ फरवरी से पहले सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
याचिका की यह प्रति राजपूत के वकीलों द्वारा पटेल को दी गई थी और इसे बाद में पटेल के वकीलों द्वारा उच्च न्यायालय को सौंपा गया था.
SC ने अहमद पटेल से संबंधित याचिका सुनवाई के लिए जल्दी लगने पर जताई हैरानी
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के 2017 में राज्यसभा में निर्वाचन से संबंधित याचिका सुनवाई के लिए जल्दी लगने पर हैरानी जताते हुए कहा है कि इस केस में कोई बहुत ही बेचैन लगता है. कोर्ट ने कहा कि 'पिछले आदेश के मुताबिक, इस केस को अंतिम सुनवाई के लिए 'नॉन मिसलेनियस डे' पर लगाया जाना था, लेकिन यह फरवरी के पहले ही दिन 'मिसलेनियस डे' में लगा दिया गया. इसलिए वह रजिस्ट्री से जानना चाहेगा कि यह कैसे हुआ.'
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बता दें कि अहमद पटेल ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को पिछले साल 26 अक्टूबर को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने बीजेपी प्रत्याशी बलवंतसिंह राजपूत की चुनाव याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाने वाली पटेल की याचिका खारिज कर दी थी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस केस में कोई बहुत बेचैन लगता है. हम रजिस्ट्री से जानना चाहेंगे कि यह केस कैसे सूचीबद्ध हो गया.
Source : News Nation Bureau