गुजरात की एक चुनावी रैली में गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को चुनाव अचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया हे. गौरतलब है कि एक रैली के दौरान गृहमंत्री ने कहा था कि 2002 की हिंसा के साजिशकर्ताओं को सबक सिखाया गया था. इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने शनिवार ये सूचना दी. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट और कानूनी राय लेने के बाद यह निर्णय लिया गया. निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया कि उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई का बयान देना किसी तरह का चुनाव संहित के प्रावधानों को उल्लंघन नहीं था.
एक चुनावी रैली में शाह की टिप्पणी पर एक पूर्व नौकरशाह ने बीते माह निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. रैली में शाह ने कहा था कि गुजरात में कांग्रेस के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे. कांग्रेस अलग-अलग समुदायों और जातियों के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काती थी. इस तरह से दंगों के बल पर कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया.’’
हिंसा से जुड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
अमित शाह का दावा था कि गुजरात में 2002 में जो दंगे उसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था. उन्हें लंबे समय से उकसाया जा रहा था. इस कारण उन्हें हिंसा की आदत हो गई थी. केंद्रीय गृह मंत्री के अनुसार, ‘लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने अपना रास्ता छोड़ दिया. 2002 से अब तक हिंसा शामिल होने से परहेज किया. भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. इस तरह से गुजरात में स्थाई शांति स्थापति हो सकी.’ गौरतलब है कि गुजरात में साल 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगाने घटना सामने आई. इसके बाद प्रदेश हिंसा की आग में सुलग उठा.
Source : News Nation Bureau
शाह की 'सबक सिखाने' वाली टिप्पणी को EC ने नहीं माना गलत, ये बात कही
गुजरात की एक चुनावी रैली में गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को चुनाव अचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया हे. गौरतलब है कि एक रैली के दौरान गृहमंत्री ने कहा था कि 2002 की हिंसा के साजिशकर्ताओं को सबक सिखाया गया था.
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गुजरात की एक चुनावी रैली में गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को चुनाव अचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया हे. गौरतलब है कि एक रैली के दौरान गृहमंत्री ने कहा था कि 2002 की हिंसा के साजिशकर्ताओं को सबक सिखाया गया था. इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने शनिवार ये सूचना दी. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट और कानूनी राय लेने के बाद यह निर्णय लिया गया. निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया कि उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई का बयान देना किसी तरह का चुनाव संहित के प्रावधानों को उल्लंघन नहीं था.
एक चुनावी रैली में शाह की टिप्पणी पर एक पूर्व नौकरशाह ने बीते माह निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. रैली में शाह ने कहा था कि गुजरात में कांग्रेस के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे. कांग्रेस अलग-अलग समुदायों और जातियों के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काती थी. इस तरह से दंगों के बल पर कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया.’’
हिंसा से जुड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
अमित शाह का दावा था कि गुजरात में 2002 में जो दंगे उसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था. उन्हें लंबे समय से उकसाया जा रहा था. इस कारण उन्हें हिंसा की आदत हो गई थी. केंद्रीय गृह मंत्री के अनुसार, ‘लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने अपना रास्ता छोड़ दिया. 2002 से अब तक हिंसा शामिल होने से परहेज किया. भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. इस तरह से गुजरात में स्थाई शांति स्थापति हो सकी.’ गौरतलब है कि गुजरात में साल 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगाने घटना सामने आई. इसके बाद प्रदेश हिंसा की आग में सुलग उठा.
Source : News Nation Bureau