Gujarat Assembly Election News: गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान जारी है. दूसरे चरण का मतदान 5 दिसंबर को होगा. नतीजे 8 दिसंबर को घोषित होंगे. इस विधानसभा चुनाव में हम उन 10 खास सीटों का जिक्र कर रहे हैं, जिनपर सभी की निगाहें हैं. ये सीटें कई वजहों से अहमियत रखती हैं. किसी पर जातीय वर्चस्व है, तो किसी सीट पर पारिवारिक लड़ाई. कहीं से लड़ाई त्रिकोणीय है, तो कहीं चुनाव पर किसी हादसे ने असर डाला है. इन सीटों में जामनगर उत्तर, भावनगर पश्चिम, मोरबी, घटलोदिया जैसी सीटें हैं. जिनके बारे में हम विस्तार से बता रहे हैं...
भावनगर पश्चिम: इस सीट से गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी चुनावी मैदान में हैं. उन्हें टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने पोस्टर बॉय राजू सोलंकी को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने किशोर सिंह गोहिल को उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. चूंकि आम आदमी पार्टी शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर मुखर रहती है. ऐसे में देखना ये है कि क्या वो भावनगर पश्चिम सीट से शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी को मात दे पाएगी? जीतू वाघाणी गुजरात सरकार का अहम चेहरा माने जाते हैं.
द्वारका विधानसभा सीट: गुजरात चुनाव में द्वारका विधानसभा सीट बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट की तरह ही है. यहां से बीजेपी के प्रत्याशी पबुभा मानेक अपराजेय रहे हैं. वो साल 1990 से ही लगातार सात बार विधायक रहे हैं, तो आठवीं बार वो फिर से मैदान में हैं, इस सीट पर बीजेपी से ज्यादा पबुभा मानेक की चलती है. वो 1990 से तीन बार निर्दलीय विधायक रहे थे, फिर एक बार कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीते और फिर से तीन बार बीजेपी के. इस बार वो बीजेपी से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. द्वारका सीट पर कृष्णवंशियों का वर्चस्व रहा है. तो मानके मतदाता तीसरे नंबर पर हैं. मानेक को कृष्णवंशी अहिरों के साथ ही मानकों का साथ मिलता रहा है.
घटलोदिया विधानसभा सीट: ये सीट गुजरात को दो बार मुख्यमंत्री दे चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी फिर से यहां चुनाव मैदान में हैं. आनंदीबेन पटेल भी यहां से विधायक और मुख्यमंत्री रही हैं. ऐसे में इस सीट पर सबकी नजरे हैं. चूंकि विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था. ऐसे में देखना ये है कि क्या वो मतदाताओं को अब भी बांध कर रखने में सफल होंगे, या कांग्रेस की अमी याजनिक उन्हें चुनौती दे पाएंगी.
मोरबी विधानसभा सीट: कुछ समय पहले ही यहां के पुल हादसे ने पूरी दुनिया की निगाहें खींची थी. यहां से विधायक और मंत्री ब्रिजेश मेरजा का टिकट काटकर बीजेपी ने पूर्व विधायक कांतीलाल अमृतिया को टिकट दिया है. वो हादसे के बाद खुद ही नदी में कूद पड़े थे और लोगों को बचाते हुए देखे गए थे. इस घटनाक्रम का वीडियो काफी वायरल हुआ था. जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें ही विधानसभा का टिकट दे दिया.
जामनगर उत्तर विधानसभा सीट: गुजरात चुनाव में जामनगर उत्तर विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी अहम है. यहां से इंटरनेशनल क्रिकेटर और लोकल स्टार रविंद्र जाडेजा की पत्नी रिवाबा जाडेजा चुनावी मैदान में हैं. उनके मुकाबले कांग्रेस ने बिपेंद्रसिंह जाडेजा को मैदान में उतारा है. खुद रिवाबा के ससुर और ननद कांग्रेस के नेता हैं और चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस का ही प्रचार किया है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक तो होना ही था. इस मुकाबले को और भी मसालेदार बना दिया है आम आदमी पार्टी ने. आम आदमी पार्टी ने पिछले साल बीजेपी छोड़ने वाले करसन कारमुर को टिकट दिया है.
वीरमगाम विधानसभा सीट: ये सीट बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही अहम है. इस सीट से बीजेपी ने हार्दिक पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है. वो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, तो कांग्रेस ने लाखा भारवाड़ पर फिर से भरोसा जताया है, जिन्होंने पिछले चुनाव में हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन और समर्थन के दम पर बीजेपी को पटखनी दी थी. आम आदमी पार्टी ने अमरसिंह ठकोर को मैदान में उतारा है. ये विधानसभा सीट आती तो अहमदाबाद जिले में है, लेकिन काफी पिछड़ी है. ये इलाका लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र नगर लोकसभा सीट के अंदर आ जाती है. ऐसे में हार्दिक पटेल ने वादा किया है कि वो अगर विधानसभा चुनाव जीतते हैं, तो वीरमगाम को जिला बनवा देंगे. यहां पर दूसरे चरण के तहत 5 दिसंबर को चुनाव होंगे.
पोरबंदर विधानसभा सीट: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मस्थान. कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई का केंद्र बिंदु. कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाड़िया का गढ़, इसके बाद भी लगातार दो चुनावी हार. बीजेपी के बाबूभाई बोखरिया ने लगातार दो बार अर्जुन मोढवाड़िया को मात दी है. तीसरी बार इस सीट पर दोनों दिग्गजों का सामना हो रहा है. ऐसे में क्या वो जीत हासिल कर कांग्रेस को मजबूती दिला पाएंगे?
वराछा रोड विधानसभा सीट: पाटीदारों का असली गढ़. आंदोलन का मजबूत केंद्र. आम आदमी पार्टी ने दांव खेला भी है तो आंदोलन के प्रमुख चेहरे अल्पेश कथीरिया पर. उनका मुकाबला है पूर्व मंत्री और मौजूदा बीजेपी विधायक किशोर कनाणी से. हालांकि अल्पेश सौराष्ट्र से हैं. लेकिन वो पाटीदार आंदोलन में हार्दिक पटेल के साथी थे. दोनों की राहें अलग हैं. और आम आदमी पार्टी भी पूरी तरह से उनके साथ खड़ी दिकती है. ऐसे में देखना ये है कि क्या आम आदमी पार्टी पाटीदार मतदाताओं के आधिपत्य वाली इस सीट पर बीजेपी को रोक पाएगी.
खंभालिया विधानसभा सीट: ये सीट सभी पार्टियों के लिए अहम हैं. यहां पर अहिर मतदाताओं का आधिपत्य है, तो विजेता भी हमेशा इसी वर्ग से आता है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने जातीय वर्चस्व को तोड़ते हुए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढवी को मैदान में उतारा है. वो पहले पत्रकार थे, लेकिन अब राजनीति में हैं. यहां दशकों से किसी न किसी अहिर चेहरे के ही सिर पर जीत का सेहरा बंधता रहा है. पिछली बार कांग्रेस के विक्रम माडम ने चुनाव जीता था, वो फिर से चुनाव मैदान में हैं. द्वारका जिले की उस सीट पर बीजेपी ने मुलुभाई बेरा को उम्मीदवार बनाया है.
कुटियाणा विधानसभा सीट: पोरबंदर जिले की कुटियाणा विधानसभा सीट पर भी सबकी नजर है. इस सीट पर बीजेपी या कांग्रेस नहीं, बल्कि दो बार से एनसीपी का कब्जा है. हालांकि दोनों ही बार कांधल जाडेजा विधायक रहे थे. इस बार वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं. वो गुजरात की लेडी डॉन कही जाने वाली संकोकबेन जाडेजा के बेटे हैं. बीजेपी ने ढेलीबेन पटेल नाम की महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.
HIGHLIGHTS
- गुजरात विधानसभा सीट चुनाव की 10 अहम सीटें
- किसी सीट पर पारिवारिक लड़ाई की चर्चा
- तो किसी सीट पर रहा है खास जाति का वर्चस्व
Source : Shravan Shukla