गुजरात में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. गुरुवार को राज्य में कोरोना के 8,152 नए मामले आए. इसके साथ संक्रमित होने वालों की कुल संख्या 3,75,768 तक जा पहुंची. इस बीच और 81 संक्रमित लोगों ने दम तोड़ दिया. इसके बीच गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिविर दवा को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं. हाईकोर्ट ने सवाल उठाते कहा कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों की सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को रेमडेसिविर के लेकर लोगों के बीच हो रही भ्रांति को दूर करना चाहिए. इसके लिए सरकार को खुद सामने आकर बयान देना चाहिए.
गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, रेमडेसिविर दवा उपलब्ध है, लेकिन आपके अनुसार यह जमाखोरी की जा रही है. क्यों? कोर्ट ने साफ कहा कि रेमडेसिवर को लेकर कई तरह के मिथक है. कोर्ट का कहना है कि इस दवा को लेकर WHO की अलग अवधारणा है, ICMR की अलग अवधारणा है, वहीं राज्य सरकार की अपनी सोच है. आम लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. लोगों को ऐसा मानना है कि रेमडेसिविर उन्हें कोरोना से बचा सकती है. कोर्ट का कहना है कि इस दवा को लेकर अनावश्यक रूप से प्रचार किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस दवा को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए.
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर की सुनवाई
हाईकोर्ट का साफ कहना है कि लोगों के मन में अगर रेमडेसिविर को लेकर किसी भी तरह का मिथक है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे दूर रहे. कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर दायक की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की पीठ ने कहा कि अभी भी कई छोटे जिलों में आरटी-पीसीआर की सुविधा नहीं है. पीठ ने याद दिलाया कि इस स्थिति से निपटने के लिए कोर्ट ने फरवरी में ही सचेत किया था. एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि गुजरात सरकार कोरोना की बिगड़ती स्थिति के प्रति बहुत सचेत है. इसपर पीठ ने याद दिलाया कि अदालत ने पहली बार फरवरी में सुझाव दिया था कि राज्य स्थिति से निपटने के लिए सही ढंग से कार्य करें, टेस्टिंग बढ़ाए और पर्याप्त बेड की व्यवस्था करें.
Source : News Nation Bureau