जामनगर की एक सत्र अदालत ने गुरुवार को गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1990 के हिरासत में मौत के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. फैसला सुनाते हुए जामनगर जिला व सत्र न्यायाधीश डी.एम. व्यास ने भट्ट व तत्कालीन कांस्टेबल प्रवीणसिंह झाला पर हत्या का दोषी करार दिया. यह फैसला पिछले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भट्ट की अर्जी खारिज करने के बाद आया है. भट्ट ने सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले में गवाहों की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी.
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पूर्व अधिकारी ने इस याचिका के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने इस बीच सर्वोच्च न्यायालय में यह कहा कि निचली अदालत ने 20 जून के लिए अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
भट्ट, जामनगर जिले में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे, जब 1990 में जामजोधपुर में यह घटना हुई थी. भट्ट ने प्रभुदास वैष्णानी को 133 अन्य लोगों के साथ बंद के आह्वान के दौरान दंगा व दूसरे अपराधों में गिरफ्तार किया गया है. यह बंद भाजपा व विश्व हिंदू परिषद ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के मद्देनजर बुलाया था. इस दौरान आडवाणी रथयात्रा निकाल रहे थे.
वैष्णानी की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में गंभीर रूप से पिटाई की गई, जिससे रिहाई के बाद उनकी चोट की वजह से मौत हो गई. उनके भाई अमृत वैष्णानी ने भट्ट व पांच अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. यह मुकदमा 2016 में शुरू हुआ था.
Source : IANS