गुजरात की मेहसाणा कोर्ट ने बिना इजाजत रैली करने के मामले में 12 लोगों को सजा सुनाई है. अदालत ने गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh mevani) को तीन महीने की सजा और 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जिग्नेश मेवानी के साथ-साथ NCP नेता रेशमा पटेल और सुबोध परमार को भी तीन महीने की सजा सुनाई गई है. यह मामला करीब पांच साल पुराना है. इन्होंने साल 2017 में आजादी कूच रैली की थी. आरोप लगा कि ये रैली बिना इजाजत की गई थी.
अब इसी मामले में महेसाणा कोर्ट ने इनको दोषी पाया है. विधायक जिग्नेश मेवानी, एनसीपी की नेता रेशमा पटेल, सुबोध परमार पर रैली करके सरकारी नोटिफिकेशन का उल्लंघन करने का आरोप लगा था. बता दें कि रेशमा पटेल राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं. ऊना में दलितों की पिटाई का मामला सामने आने के बाद 12 जुलाई 2017 को 'आजादू कूच' नाम से मेहसाणा के पास बनासकांठा में आंदोलन किया गया था.
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बता दें कि फिलहाल जिग्नेश मेवानी जमानत पर बाहर हैं. मेवानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित ट्वीट को लेकर असम पुलिस ने गुजरात से गिरफ्तार किया था. फिर कोकराझार कोर्ट से जिग्नेश मेवानी को जमानत मिल गई थी. हालांकि इसके तुरंत बाद पुलिस ने जिग्नेश को दूसरे थाने में महिला पुलिसकर्मी के साथ बदतमीजी करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में मेवानी को इस केस में भी जमानत मिल गई थी.
फिलहाल इस जमानत के खिलाफ असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील दायर की है. इसपर अब 27 मई को सुनवाई होनी है. वहीं रेशमा पटेल की बात करें तो वह NCP से पहले भाजपा में भी रही थीं. तब दिसंबर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी. फिर साल 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से इस्तीफा दिया था और कहा था कि भाजपा अब सिर्फ एक मार्केटिंग कंपनी बन कर रह गई है. रेशमा पटेल हार्दिक पटेल के साथ पाटीदार आंदोलन का हिस्सा रही थीं.