कांग्रेस पार्टी इन दिनों इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. एक तरफ पार्टी एक के बाद एक चुनाव हार रही है. वहीं, डूबती नाव की तरह कांग्रेस पार्टी से एक के बाद एक दिग्गज नेता दूर भागते जा रहे हैं. लेकिन, ऐसा लगता है कि पार्टी आलाकमान अपने नेताओं को अब भी एकजुट रखने के मे पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं. इस साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव है. इस बीच खबर है कि पाटीदार आंदोलन से उभर कर सामने आए युवा नेता हार्दिक पटेल पार्टी की कार्यप्रणाली से खासे नाराज हैं. उनका आरोप है कि उनकी शिकायतों पर आलाकमान की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
हार्दिक पटेल गुजरात में पाटीदार समुदाय के प्रभावशाली और युवा नेता हैं. पार्टी ने उन्हें यूं तो गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष बना रखा है. बताया जाता है कि वह पिछले एक वर्ष से पार्टी की कार्य प्रणाली को लेकर नाराज चल रहा है. हार्दिक सार्वजनिक रूप से कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं. पिछले दिनों तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उनके विकल्प खुले हुए हैं. हार्दिक के इस बयान का मतलब भाजपा में जाने की संभावना के तौर पर निकाला जाने लगा था. हालांकि, दूसरे ही दिन हार्दिक ने ट्वीट करके साफ किया कि वह किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं. हालांकि, पार्टी से उनकी नाराजगी अब भी कायम है. आइए जानते उन वजहों के बारे में, जिससे हार्दिक पटेल कांग्रेस पार्टी से नाराज हैं.
पार्टी के फैसलों से दूर रखना
गुजरात कांग्रेस के युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का आरोप है कि पार्टी में शामिल होने के 3 वर्ष बाद उन पर विश्वास नहीं किया जाता है. यहां वजह है कि पार्टी ज्वाइन करने के 3 साल बाद आज तक उन्हें गुजरात कांग्रेस की फैसले लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है. उन्होंने आंकड़ा देते हुए बताया कि मार्च में प्रदेश कांग्रेस ने 75 महासचिव और 25 उपाध्यक्ष नियुक्त किए थे. हार्दिक का आरोप है कि इस दौरान उनसे चर्चा तक नहीं की गई. इसके अलावा, हार्दिक ने राज्य में पिछले वर्ष हुए निकाय चुनावों के टिकट वितरण में भी अनदेखी का आरोप लगाया था. बताया जाता है कि पाटीदार नेता नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी में दुविधा से भी हार्दिक नाराज हैं.
अध्यक्ष बदलने के बाद भी नहीं बदले हालात
हार्दिक का कहना है कि बार-बार पार्टी हाईकमान से गुहार के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं. हार्दिक का आरोप है कि पार्टी हाईकमान और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने पर आश्वासन मिलता रहा कि कुछ अच्छा किया जाएगा,. बाकायदा कहा गया कि आपको आपकी जगह मिलेगी, लेकिन हार्दिक का इस बात से नाराज है कि पिछले एक साल में सिवाय अध्यक्ष बदलने के पार्टी में कुछ नहीं बदला है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिसंबर में कांग्रेस ने ओबीसी नेता और पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर को गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था.
निकाय चुनावों में पार्टी खर्च तक नहीं दिया
पार्टी से नाराज चल रहे हार्दिक पटेल का दावा है कि 2021 के स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी उन्होंने चुनाव प्रचार की रूपरेखा बनाने से लेकर उसे अमल कराने तक का जिम्मा खुद उठाया था. हार्दिक का दावा है कि इस दौरान उसने न केवल पाटीदार बहुल इलाकों में, बल्कि अहमदाबाद जैसे क्षेत्रों में भी प्रचार किया, लेकिन पार्टी ने कोई खर्चा नहीं दिया. लिहाजा, पूरे खर्चे की भरपाई उन्हें अपनी जेब से वहन किया.
पार्टी ने अलग-थलग छोड़ा
पाटीदार आंदोलन से नेता बनकर सामने आए हार्दिक पटेल का आरोप है कि आंदोलन के वक्त के केसों से लड़ने में पार्टी ने किसी तरह से मदद नहीं की. दरअसल, हार्दिक के खिलाफ खिलाफ 28 केस दर्ज हैं. इनमें से 2 केस देशद्रोह से संबंधित है. गौरतलब है कि राजनीतिक केसों से दबे हार्दिक ने इन वर्ष फरवरी में ऐलान किया था कि अगर 2015 के आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदारों पर दर्ज मामले वापस नहीं लिए गए तो वह 23 मार्च से आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे. हार्दिक के इस बयान के बाद गुजरात की भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ 10 मामले वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी. बताया जाता है कि हार्दिक इस बात से भी नाराज है कि भाजपा ने तो उसकी चेतावनी का संज्ञान लिया, लेकिन उनकी अपनी पार्टी उनकी चेतावनी पर ध्यान दिया, लेकिन कांग्रेस ने कोई तवज्जो नहीं दी. गौरतलब है कि 2015 के पाटीदार आंदोलन के मामले की सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम हार्दिक को हुई सजा पर रोक लगा दी थी. इसके अलावा हार्दिक को इस बात की भी तकलीफ है कि व अगला चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन पार्टी की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
प्रदेश कांग्रेस में किनारे लगाने का आरोप
हार्दिक पटेल को राहुल गांधी कांग्रेस में लेकर आए थे. 2019 में पार्टी में शामिल होने के एक वर्ष के अंदर ही उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था. इसके बाद भी कांग्रेस में तवज्जो न दिए जाने का आरोप वे लगातार लगाते रहे हैं. कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इससे पार्टी में लंबे वक्त से मौजूद नेताओं में बेचैनी हो गई, जो स्वाभाविक है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन से उपजे हार्दिक और जिग्नेश मेवानी जैसे युवा और महत्वाकांक्षा नेताओं के साथ अलग व्यवहार बहुत ही जरूरी है. लिहाजा, पार्टी ने उन्हें उनके कद के हिसाब से स्थान भी दिया है. गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हार्दिक अहमद पटेल के बाद गुजरात से इकलौते ऐसे कांग्रेस नेता थे, जिन्हें स्टार प्रचारक का दर्जा मिला था. इसके बाद 2022 के पंजाब चुनाव में भी उन्हें फिर स्टार पर्चारक का दर्जा दिया गया
कांग्रेस ने आरोपों को नकारा
हार्दिक की नाराजगी पर एक कांग्रेस नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि वह अक्सर ‘बहुत डिमांड’ करने लग जाते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी नेता अपने लोगों की पार्टी में नियुक्ति के लिए आग्रह तो कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए दबाव नहीं बना सकते कि फलां व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया जाए. वहीं, कांग्रेस के एक नेता तो हार्दिक की महत्वकांक्षा पर सवाल उठाते हुए उनकी तुलना अल्पेश ठाकुर से कर दी. गौरतलब है कि ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में आने के बाद 2017 में विधायक बने थे. इसके बाद पार्टी ने उन्हें बिहार में जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन 2020 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और उसके बाद वह उपचुनाव भी हार गए.
HIGHLIGHTS
- गुजरात में पाटीदार समुदाय के प्रभावशाली और युवा नेता है हार्दिक पटेल
- सार्वजनिक तौर पर आलाकमान पर कई बार नाराजगी जाहिर कर चुके हैं
- कांग्रेस में शामिल हुए हो गए 3 वर्ष, फैसलों से पहले नहीं पूछने का लगाया आ
Source : News Nation Bureau