गुजरात उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने गुरुवार को उच्च न्यायालय के सिटिंग जज निखिल एस. करियल के तबादले के खिलाफ अनिश्चितकालीन विरोध शुरू किया और इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता की हत्या करार दिया. आंदोलनरत अधिवक्ता विरोध करने के लिए प्रथम कोर्ट हॉल में इकट्ठे हुए. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बुधवार शाम जज करियल को गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला किया है. बार एंड बेंच ने गुरुवार को इस खबर की जानकारी दी.
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार वकीलों को अपने कोर्ट रूम में इकट्ठा देखकर हैरान रह गए, पूछने पर एक वरिष्ठ वकील ने अदालत को बताया कि वह सिटिंग जज करियल के तबादले के विरोध में दो मिनट का मौन धारण करने के लिए इकट्ठे हुए हैं. इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता की हत्या करार देते हुए वकीलों ने कहा कि आम तौर पर किसी भी न्यायाधीश को स्थानांतरित करने से पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श किया जाता है.
दोपहर के भोजन के बाद अधिवक्ता संघ ने अनिश्चित काल के लिए विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया. न्यायाधीश निखिल करियल को 1988 में बार काउंसिल ऑफ गुजरात में नामांकित किया गया था. उन्हें 4 अक्टूबर, 2020 को गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.
Source : IANS