गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विजय रूपाणी ने सात अगस्त 2016 को पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इसके बाद 2017 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे. इसमें भाजपा ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी. भाजपा ने गुजरात में 182 सीटों में से 99 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था. विधानमंडल दल की बैठक में रुपाणी को विधायक दल का नेता और नितिन पटेल को उपनेता चुना गया था. रुपाणी ने 26 दिसंबर 2017 को दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वह आनंदीबेन पटेल के हटने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उन्होंने 26 दिसंबर 2017 को दूसरी बार शपथ ली थी. वह मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल एक महीने मुख्यमंत्री पद पर रहे. विजय रुपाणी ने अपनी राजनीति की शुरुआत काफी निचले स्तर से शुरू की थी. एबीवीपी के छात्र कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपनी राजनीति की पारी शुरू की थी. इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। इमरजेंसी के दौरान रुपाणी भी कई नेताओं की तरह 11 महीने के लिए जेल गए थे. लेकिन समय के साथ-साथ राजनीति पर उनकी पकड़ भी मजबूत होती चली गई.
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संघ के रहे प्रचारक
रुपाणी 1978 से 1981 तक वह संघ के प्रचारक भी रहे, लेकिन उनकी राजनीति की पारी का सबसे अहम मोड़ उस वक्त आया जब उन्होंने 1987 में राजकोट नगर निगम के चुनाव में कार्पोरेटर के तौर पर जीत हासिल की। राजनीति की यह पहली ऐसी सीढ़ी थी जिसपर उन्होंने कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद वह ड्रेनेज कमेटी के चेयरमैन बने.
कई अहम पदों पर रह चुके हैं रुपाणी
इसके एक वर्ष बाद ही वह राजकोट नगर निगम में स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमैन बनाए गए। इस पद पर वह 1996 से लेकर 1997 तक रहे. गुजरात भाजपा में उनके लगातार बढ़ते कद को भांपते हुए ही उन्हें 1998 में प्रदेश में पार्टी का महासचिव बनाया गया। इस पद के लिए वह चार बार चुने गए। इसके अलावा केशूभाई पटेल ने उन्हें मेनिफेस्टो कमेटी का चेयरमैन भी बनाया था। 2006 में वह गुजरात ट्यूरिज्म के चेयरमैन बने.
राज्यसभा के सदस्य रहे
रुपाणी 2006 से लेकर 2012 तक राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं. 2013 जिस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त उन्हें गुजरात म्यूनिसिपल फाइनेंस बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था. राजनीति पर अच्छी पकड़ की बदौलत ही उन्हें 19 फरवरी 2016 को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। इसी दौरान भाजपा के आरसी फालदू को कर्नाटक का राजयपाल बनाया गया जिसकी वजह से उन्हें राजकोट पश्चिम की सीट से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में यहां से चुनाव लड़ने के लिए विजय रुपाणी को अधिकृत किया गया। 19 अक्टूबर 2014 को उन्होंने बड़े अंतर से कांग्रेस के नेता को हराया था. नवंबर 2014 में आनंदीबेन पटेल की सरकार में भी वह मंत्री बनाए गए थे। उन्हें ट्रांसपोर्ट, वाटर सप्लाई, लेबर एंड एंप्लाएमेंट विभाग सौंपा गया था.
HIGHLIGHTS
- सात अगस्त को बने थे पहली बार मुख्यमंत्री
- फिर दुबारा 26 दिसंबर 2017 में मुख्यमंत्री बने थे रुपाणी
- मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल एक महीने मुख्यमंत्री पद पर रहे