गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मारे जाने वालों की संख्या 135 तक पहुंच गई है. जबकि कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं. इसके साथ ही हादसे में घायल हुए कई लोग अभी भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. इस हादसे में कई स्तरों पर हुई घोर लापरवाही के चलते पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. हादसे की गंभीरता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोरबी पहुंचकर हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उनको सांत्वना दी. इसके साथ ही उन्होंने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल भी जाना. यह हादसा इतना बड़ा है कि इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ रही है. वहीं हादसे के पीछे हुई हद दर्जे की लापरवाही का मामला भी सामने आया है. जिसने पुलिस और प्रशासन दोनों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. हादसे ने कुछ ऐसे सवालों को जन्म दे दिया है, जिनके जवाब तलाशे जा रहे हैं.
आखिर जिम्मेदार कौन?
समय से पहले क्यों खोला गया पुल?
संबंधित विभाग से कोई फिटनेस सर्टिफिकेट क्यों नहीं लिया गया?
प्रशासन ने इसकी पड़ताल करना क्यों जरूरी नहीं समझा?
जवाबदेही अभी तक तय क्यों नहीं की गई?
गलती ओरेवा नामक कंपनी कीः प्रशसान?
पुल से जुड़े अहम तथ्य
पुल का स्वामित्त्व नगरपालिका के पास मौजूद
ओरेवा के पास पुल के मेंटिनेंस और संचालन का 15 साल का एग्रीमेंट
मार्च में एक साल के लिए मेंटिनेंस का काम शुरू
अक्टूबर में ही खोला गया पुल
पुल गिरने के ये तीन कारण तो नहीं?
पॉइंट लोड- एक ही जगह यानी पॉइंट पर बहुत अधिक लोगों का इकट्ठा हो जाना
ऑसीलेशन- बहुत ज्यादा लोगों द्वारा पुल को हिलाया जाना, झूलना या फिर कूदना
क्षमता से अधिक भार- क्षमता से ज्यादा लोगों का पुल पर मौजूद होना
Source : Mohit Sharma