Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई. इसी के साथ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की सभी संभावनाएं भी समाप्त हो गईं. नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब 15 सितंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी. जिसमें पता चलेगा कि किस पार्टी के कितने उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में उतर पाएंगे. बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के अलावा स्थानीय पार्टियां आईएनएलडी-जेजेपी और बीएसपी ने भी अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. मोहित बख्शी की इस रिपोर्ट में जानते हैं हरियाणा चुनाव में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने की क्या वजह रही.
सभी पार्टियां कर रही जीत का दावा
हरियाणा चुनाव में भले ही हर पार्टी जीत का दावा कर रही हो लेकिन हरियाणा की राजनीति में मचे सियासी हंगामे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीनों राष्ट्रीय दलों (बीजेपी, कांग्रेस, आप) ने अपने उम्मीदवारों की सूची तक आखिरी दिन जारी की. इस चुनाव में कांग्रेस और आप के गठबंधन की चर्चा खूब हुई लेकिन नामांकन के आखिरी दिन आम आदमी पार्टी ने सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. यही नहीं गठबंधन में 5 सीटों पर ही राज़ी हो रही आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा और विनेश फोगाट की हाई प्रोफाइल सीट्स पर भी उम्मीदवार उतार दिए.
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आप ने कांग्रेस और बीजेपी के बागियों को भी दिया टिकट
आप सांसद संजय सिंह का कहना है की हर पार्टी ने अलग-अलग पार्टी से आए हुए लोगों को चुनावी मैदान में उतार रही है लेकिन हमारी लड़ाई पिछले दस साल से हरियाणा में चल रहे कुशासन के खिलाफ है. हमारा मकसद सत्ताधारी पार्टी को हराना है. इस बार आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी के बागियों को भी टिकट दिया है. आप की पहली सूची में भले ही कार्यकर्ताओं के नामों शामिल हों लेकिन उसके बाद आई 6 लिस्ट में कांग्रेस और बीजेपी के बागियों को भी टिकट दिया है. इनमें प्रो. छत्रपाल का नाम प्रमुख है. जिन्होंने चौधरी देवी लाल को चुनावी मैदान में पटखनी दी थी.
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हरियाणा में आप ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय
शायद यही वजह रही कि जहां नामांकन की अंतिम तारीख 12 सितंबर होने के बावजूद कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी अंतिम सूची 11 तारीख की देर रात जारी की. वहां के बागियों के नाम आम आदमी पार्टी की लिस्ट में एक बार फिर नजर आए. आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता के मुताबिक, उन्हें आलाकमान ने 90 सीट्स पर चुनाव लड़ने को कहा था और उन्होंने 90 सीट्स पर उम्मीदवार उतारे है.
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इनमें ज्यादातर हमारे कार्यकर्ता है लेकिन जो लोग आए है जमीन पर मजबूत लोग हैं और अरविंद केजरीवाल के शिक्षा स्वास्थ्य के कामों में विश्वास रखते हैं उनको हमने उम्मीदवार बना कर उतारा है. अगर गठबंधन के मामले को देखा जाए तो राहुल गांधी की पहल पर कांग्रेसी नेताओं ने गठबंधन की बात तो शुरू की, लेकिन हरियाणा के कांग्रेसी नेताओं ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई और अब आम आदमी पार्टी ने 90 सीट्स पर अपने उम्मीदवार उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया.