हरियाणा में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राज्य में एक अक्टूबर को मतदान की घोषणा की है. वहीं 4 अक्टूबर को यहां पर वोटों की गिनती होनी है. यहां पर एक चरण में चुनाव होना है. बीते एक दशक से यहां पर भाजपा की सरकार है. इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव में कड़ी टक्कर होने की संभावना है. पिछले चुनाव के नतीजे की बात की जाए तो 2019 में भाजपा 36.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. तब कांग्रेस को 28.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. पार्टी 31 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. वहीं दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 सीटें मिली थीं.
ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए विधानसभा चुनाव तारीखों का ऐलान, जानें पूरा शिड्यूल
हरियाणा की लोकहित पार्टी को एक फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं सात निर्दलीय दल चुनाव जीतने में सफल रहे थे. तब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. कोई भी पार्टी 46 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी.
चुनाव नतीजों के बाद भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा. उस समय पार्टी एक्टिव मोड में आई और जेजेपी, हरियाणा लोकहित पार्टी और निर्दलीयों के समर्थन के साथ सरकार बना ली थी. भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले जेजेपी से गठबंधन तोड़ लिया. बाद में मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम पद पर बैठाया गया.
कैसा रहा हरियाणा का अतीत
हरियाणा के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद पहली बार यहां पर 1967 में चुनाव हुआ. यहां पर उस समय 81 सीटों पर वोट डाले गए थे. उसय वक्त कांग्रेस को 81 में से 48 सीटों पर विजय मिली थी. उस समय सत्ता हासिल करने के लिए जादुई आंकड़ा 41 सीटों का था. तब 16 निर्दलीय विधायकों ने जीत हासिल की थी. भारतीय जनसंघ को 12, स्वतंत्र पार्टी को तीन और रिपब्लिकन पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली.
पंडित भगवत दयाल शर्मा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी. मगर सरकार गठन के हफ्तेभर के भीतर ही दर्जनभर विधायकों ने पाला बदल लेने से ये गिर गई. उस समय मोदी सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी. यह छह महीने में गिर गई.
इस बार क्या हैं समीकरण
लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को पांच सीटें मिलीं. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा पर हैं. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले आम जनता के लिए नायब सरकार नई-नई योजनाओं का ऐलान कर चुकी है. हरियाणा की सियायत में अपनी जगह तलाश रही आईएनएलडी के लिए भी चुनौती है. उसके सामने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी बड़ी रुकावट है.