हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुई लाठीचार्ज को लेकर प्रदेश का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है. करनाल में किसानों द्वारा मंगलवार को लघु सचिवालय के घेराव किए जाने पर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज (Haryana Home Minister Anil Vij) ने कहा कि प्रजातांत्रिक देश है और प्रजातांत्रिक देश में किसी को भी आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए. हमने पूरी व्यवस्था कर ली है और आम आदमी के लिए एडवाइजरी भी जारी की है. कुछ रास्ते को डायवर्ट किया गया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की आड़ में आम आदमी की स्वतंत्रता को किसी भी तरह का खतरा नहीं होने देंगे.
अनिल विज ने कहा कि हमने मंगलवार के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स करनाल के अंदर लगाई है. उन्होंने कहा कि हमने एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर नवदीप विर्क की ड्यूटी लगाई है कि वह घेराव के दौरान वहीं मौजूद रहेंगे. विज ने कहा कि कोई भी प्रदर्शन करता है तो करें, लेकिन कानून के दायरे में रहकर अपनी बात रखे. शांति बनाए रखने का जिम्मा किसान नेताओं का भी है.
आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच जुबानी जंग हो चुकी है. जहां पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इस्तीफा देने की सलाह दे डाली थी तो वहीं इस बात पर सीएम खट्टर ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मेरे से इस्तीफा मांगने वाले अमरिंदर सिंह कौन होते हैं. सीएम खट्टर ने कहा था कि दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन करने वाले किसान पंजाब से हैं, ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही अपना इस्तीफा देना चाहिए.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि सिंघू या टिकरी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में कोई भी हरियाणा से नहीं है. साथ ही उन्होंने पंजाब पर आरोप लगाते हुए कहा कि करनाल में किसानों का जो प्रदर्शन हुआ उसमें सीधे तौर पर पंजाब का हाथ है. अगर ऐसा न होता तो राजेवाल सीएम अमरिंदर सिंह को लड्डू नहीं खिलाता. किसान आंदोलन के नाम पर जो हो रहा है इसके लिए उन्होंने हरियाणा को गलत चुना है.
इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि हरियाणा सीएम की टिप्पणी ने उनकी सरकार के किसान विरोधी एजेंडे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को याद दिलाया कि करनाल में बीजेपी की बैठक का विरोध कर रहे किसान हरियाणा के थे, पंजाब के नहीं.
Source : News Nation Bureau