हरियाणा (Haryana) के जींद शहर (Zind City) में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जींद शहर के सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में कुछ ऐसा हुआ कि 10 महीने के बच्चे की जान आफत में आ पड़ी. अस्पताल में लापरवाही के चलते 10 महीने का बच्चा (10 Month Baby) करीब 18 घंटे तक सोता ही रह गया. इलाज के लिए आए 10 महीने के बच्चे को अस्पताल में दवाई देने वाले लड़के से गलती हो गई और पर्चे में लिखी 10 एमजी की दवा की डोज ज्यादा हो गई जिसके बाद बच्चा सोता ही रह गया. दवा के हैवी डोज के कारण बच्चा गहरी नींद में चला गया. इसके बाद बच्चे की आंख करीब 18 घंटे के बाद खुली.
हालांकि इस मामले पर जींद के सीएमओ का कहना कि अभी तक इस घटना की कोई भी जानकारी या कोई लिखित शिकायत उनके पास नहीं आई है. सीएमओ का कहना है कि अगर कोई ऐसी घटना हुई भी है तो दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
यह भी पढ़ें: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को भेजा नोटिस
इस घटना के बाद सबसे बड़ी बात ये सामने आई है कि जो लोग सरकारी अस्पतालों में दवाइयां देते हैं या जो इंजेक्शन वगैरह लगाते हैं वो खुद ही पढ़े लिखे नहीं होते हैं जिसकी वजह से ऐसी बड़ी घटनाएं होती हैं.
इसके पहले कोटा के जेके लोन अस्पताल में 110 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया था. इस केस में भी स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते करीब 110 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
इसके पहले कोटा के जेके लोन अस्पताल में 110 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया था. इस केस में भी स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते करीब 110 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
यह भी पढ़ें: शाहीनबाग का मसला सुलझने के आसार, कल गृह मंत्री अमित शाह से मिल सकते हैं प्रदर्शनकारी
गौरतलब है कि इधर, एनएचआरसी, दिसंबर, 2019 के महीने में राजस्थान के कोटा जिले के एक सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक बच्चों की मौत के बारे में मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया. एनएचआरसी ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए नोटिस जारी किया है. एनएचआरसी ने सरकार को इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी. आयोग ने कहा कि नोटिस यह सुनिश्चित करने के लिये भेजा गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.
Source :