हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांघ्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है. हरियाणा में प्रचार में कांग्रेस खुद को भाजपा से काफी आगे मानकर चल रही है. हालांकि, राज्य में आखिरी वक्त तक सभी नेताओं को साधे रखना कांग्रेस के लिए काफी बड़ी चुनौती है. भाजपा में टिकट को लेकर अगर असंतोष है तो कांग्रेस में भी कम कश्मकश नहीं है. वरिष्ठ नेताओं के बीच कई बार मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.
टिकट बंटवारे से परेशान
कुमारी सैलजा की नाराजगी की खबरों से कांग्रेस में बेचैनी है. कहा जा रहा है कि टिकट वितरण में हुई अनदेखी से सैलजा नाराज हैं इसलिए उन्होंने प्रचार अभियान से दूरी बना ली है. हालांकि, कांग्रेस इससे मना कर रही है. पार्टी कार्यक्रमों से सैलजा का दूर रहना उनकी नाराजगी की बातों को हवा दे रहा है, चर्चा है कि सैलजा ने अपने करीब 30-35 समर्थकों के लिए टिकट मांगा था पर अधिकतर सीटों पर हुड्डा समर्थकों को तरजीह मिली, इसी से सैलजा नाखुश चल रही हैं. विधानसभा चुनाव में हुड्डा खेमे के 70 से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं. वहीं, सुरजेवाला और सैलजा समर्थकों को महज चार-पांच सीटों पर ही उतारा गया है.
ये भी पढ़ें: Sri Lanka Election: श्रीलंका में आज राष्ट्रपति चुनाव, एक भी महिला उम्मीदवार नहीं, 17 मिलियन मतदाता डालेंगे वोट
हरियाणा में 17 सीटें रिजर्व हैं तो वहीं 21 सीटों पर दलितों का प्रभाव है. इन 21 सीटों पर सैलजा का प्रभाव है. हुड्डा ने सैलजा की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है.
कई सीटों पर सैलजा फैक्टर
हरियाणा में करीब 17 सीटें रिजर्व हैं। जबकि करीब 21 सीटों पर दलितों का प्रभाव है और यहां सैलजा फैक्टर का असर माना जाता है। हुड्डा ने अपनी तरफ से सैलजा की नाराजगी दूर करने की पहल की है। वहीं, कांग्रेस आलाकमान ने साफ कर दिया है कि वे अति-आत्मविश्वास का शिकार न बनें. एकजुटता से चुनाव लड़ें.
भुनाने की कोशिश में भाजपा
हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट की राजनीति और दलित मतदाताओं की अहम भूमिका है. इसी वजह से सैलजा की नाराजगी को भाजपा भुनाने में लगा हुआ है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को अपना घर देखना चाहिए. कांग्रेस का दावा है कि जमीन पर वे भाजपा से अधिक मजबूत है.
ये भी पढ़ें: Delhi CM: इस दिन दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी आतिशी, जानें कब और कहां होगा शपथ ग्रहण समारोह