समय पर सरकारी सेवाएं ना देना अधिकारियों को भारी पड़ रहा है. गुरुग्राम में 250 ऐसे अफसरों को नोटिस थमाया गया है जिन्होंने समय पर सेवाएं नहीं दी. तीन बार गलती होने पर इन अधिकारियों को नौकरी से भी निकाला जा सकता है. राइट-टू-सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि आम जनता के रोजमर्रा के काम समयबद्ध तरीके से लोगों की संतुष्टि के साथ हों, यही आयोग का उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि सरकार के 31 विभागों की 546 सेवाएं राइट-टू-सर्विस एक्ट में नोटिफाइड हैं. इसमें हर सेवा प्रदान करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है. सरकारी विभागों के अधिकारियों को उस समय अवधि में ही वे सेवाएं आम जनता को देनी हैं. इस दौरान सभी अधिकारी यह ध्यान रखें कि आवेदनों को रद्द करने की दर कम हो और उनके मिलने पर जनता की संतुष्टि दर में सुधार हो.
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250 अधिकारियों को नोटिस
हरियाणा के राइट-टू-सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त टीसी गुप्ता ने कहा कि इस एक्ट के तहत जो सर्विस नोटिफाइ की गई हैं उन्हें समय पर ना देने पर करीब 250 अधिकारियों व कर्मचारियों को आयोग ने नोटिस भेजा है. उन्होंने कहा कि बैठकें आयोजित करने से लोगों में धीरे-धीरे राइट-टू-सर्विस एक्ट के प्रति जागरूकता आ रही है और जब सेवाएं प्रदान करने में देरी करने वाले व्यक्तियों को दंडित किया जाएगा तो इसका सेवाओं पर प्रभाव भी दिखाई देगा. साथ ही आम जनता को राहत मिलेगी.
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20 हजार का जुर्माना भी लगाया
सभी अधिकारियों को सचेत करते हुए कहा कि सेवाएं प्रदान करने में देरी करने वाले अधिकारी या कर्मचारी पर 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने की शक्तियां प्राप्त हैं. यह जुर्माना संबंधित अधिकारी या कर्मचारी को अपने वेतन से भरना होगा और जिस भी अधिकारी या कर्मचारी पर तीन बार जुर्माने लगेंगे तो आयोग उसे नौकरी से बर्खास्त करने की सरकार से सिफारिश करेगा. इसके साथ ही पीड़ित आवेदक को भी आयोग 5 हजार रुपये तक का मुआवजा देरी के लिए दे सकता है. वहीं, आयोग के फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में ही हो सकती है.
Source : News Nation Bureau