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Haryana Assembly Elections: हरियाणा में चुनाव के नतीजों का गणित बदल सकती है ये जाति, इतिहास भी है गवाह

Haryana Assembly Elections 2024: कांग्रेस पार्टी में जिस प्रकार की गुटबंदी चल रही है, अगर उसका प्रभाव जमीनी तौर पर नहीं पड़ा तो हुड्डा फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं और इसका फायदा कांग्रेस को होगा.

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Yashodhan.Sharma
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Haryana Jaat Voters
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हरियाणा में दो दिन बाद मतदान होने हैं. सभी राजनीतिक दलों ने अपने वोट साधने के लिए जमकर रैलियां भी कीं . ऐसे में अब बात हो अगर समीकरण की तो यहां सबसे अहम जाट और दलित के मतदाता हैं. प्रदेश में अगर सरकार किसकी बननी है इसका निर्णय इन्हीं जातियों पर निर्भर है. हरियाणा में  24 से 25 फीसदी मतदाता जाट समुदाय से आते हैं.  

इस समुदाय के वोटों पर ही डिपेंड करता है कि सत्ता कौन संभालेगा. 1966 में राज्य का गठन हुआ तब से लेकर अब तक यहां 33 मुख्यमंत्री जाट समुदाय से ही आए हैं. 90 विधानसभा सीटों में से 36 पर जाट वोटरों का दबदबा रहा है. इसी वजह से सभी राजनीतिक दल अपनी नजर जाट और दलित वोटरों पर गढ़ाए हुए हैं. यहां जाट वोटरों की संख्या जितनी बड़ी है उतनी देश के दूसरे प्रदेशों में नहीं है. 

कांग्रेस को पहुंचेगा फायदा

हरियाणा में दलित वोटरों की बात करें तो इनकी संख्या 20 से 22 फीसदी है. यहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 10 साल तक अपनी सरकार चलाई. वह भी जाटों और दलितों को एकजुट करके और इस बार भी वह कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं. कांग्रेस पार्टी में जिस प्रकार की गुटबंदी चल रही है, अगर उसका प्रभाव जमीनी तौर पर नहीं पड़ा तो हुड्डा फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं और इसका फायदा कांग्रेस को होगा. दूसरी तरफ रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा भी खुद को दावेदार बता रही हैं. 

अब आपको एक नजर में ये बताते हैं कि हरियाणा में किस समुदाय के कितने फीसदी मतदाता हैं.

जाट- 25 फीसदी
दलित- 21 फीसदी
ब्राह्मण- 8 फीसदी
पंजाबी- 8 फीसदी
वैश्य- 5 फीसदी
यादव- 5 फीसदी
मुस्लिम 4 फीसदी
सिख- 4 फीसदी
गुर्जर- 3 फीसदी
अन्य- 17 फीसदी

बीजेपी कारोबारियों के लिए है फायदेमंद

जिस प्रकार से कांग्रेस में जाट नेता आगे दिख रहे हैं उस प्रकार से भाजपा में कोई भी नेता आगे नहीं है. भाजपा के शासन में हरियाणा में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर बनकर जो सामने आया है वह है ‘रियल एस्टेट कारोबार’. हरियाणा और दिल्ली से पूरी तरह से लगा हुआ है, जहां पर सबसे ज्यादा रियल एस्टेट का कारोबार होता है. इस कारोबार की वजह से लोग भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा ठीक समझते हैं. इसकी वजह यह भी है कि केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है और राज्य में भी तो इन कारोबारियों लोगों को हर चीज की सुविधा मिलती है.

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