हरियाणा सरकरा ने पराली जलाने वालों की सूचना देने वाले को हजार रुपए नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया है. इसी के साथ ये भी बाताया गया है कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान को गुप्त रखा जाएगा. दरअसल पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. इसका एक मुख्य कारण हरियाणा में जलाई जा रही पराली बताया जा रहा है.
ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी. इसी बैठक में ये फैसला लिया गया. इसके साथ ये भी बताया गया कि हरियाणा में पिछले साल की तुलना में इस साल पराली जलाने के मामलों में कमी आई है.
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पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष 22 अक्टूबर तक राज्य में फसल अवशेष जलाने के क्षेत्र में 34 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. पिछले साल जहां 57,000 हेक्टेयर भूमि पर फसल अवशेष जलाने की सूचना मिली थी वहीं इस वर्ष केवल 38,000 हेक्टेयर में फसल अवशेष जलाने की जानकारी मिली हैपिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 6.5 प्रतिशत फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आई है.
आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को धुंध और वायु प्रदूषण 35 प्रतिशत रहा. गुरुवार को इसके 24 प्रतिशत रहने का अनुमान था और शुक्रवार को इसके 25 प्रतिशत रहने का अनुमान था. फसल के अवशेषों को जलाने की अपेक्षा उन्हें उर्वरकों में बदलने के लिए जरूरी तकनीकों और मशीनरियों को खरीदने के लिए किसानों को केंद्र सरकार द्वारा 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान किए जाने के बावजूद पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है.
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सरकार के एक सूत्र ने गुरुवार को कहा कि किसानों को राज्य सरकारें सुविधाएं दे रही हैं, और पिछले कुछ सालों ने केंद्र ने इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं.
हरियाणा में सिरसा के एक किसान संजय न्योल ने कहा कि ज्यादातर किसान मशीनों का उपयोग कर पराली को मिट्टी में मिला देते हैं क्योंकि वे पराली जलाए जाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से परिचित हैं. लेकिन कुछ स्थानों पर पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है, और कार्रवाई भी की गई है.
पर्यावरणविद् कहते हैं कि धुंध के लिए पराली जलाया जाना सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. धुंध ने पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर को ढंका हुआ है. टेरी के एक विशेषज्ञ सुमित शर्मा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान सीजन में वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी और धुंध का 30-60 प्रतिशत पराली जलाए जाने के कारण है.