देश की राजधानी में प्रदूषण से हालत बदतर है. इसका प्रमुख कारण पराली जलाना बताया जा रहा है। ऐसे में हम पराली के सही प्रबंधन से प्रदूषण से छुटकारा पा सकते हैं। इसका एक उदाहरण दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा के कैथल का है. यहां पर एक किसान का दावा है कि वह पराली प्रबंधन व्यवसाय में 300 लोगों को रोजगार देता है. धान के मौसम में वह करीब 50 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं. गुहला खंड के गांव रिवाड़ जागीर निवासी रामकुमार वाल्मीकि का कहना है कि वह 12 बेलर (जो पुआल के बंडल बनाते हैं) की मदद से पुआल इकट्ठा करते हैं, उनमें से कुछ सरकारी सब्सिडी से खरीदे जाते हैं और पेपर मिलों को बेचते हैं.
वर्ष 2012 में शुरू किया कार्य
रामकुमार का कहना है कि वर्ष 2012 में प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था. उस समय पंजाब सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के तहत बेलर की मशीनें दी जाती थीं. उस दौरान ही वह बेलर मशीन वहां से लेकर आए। समय बदला तो अपने कार्य को और अधिक बढ़ाया। इस दौरान फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य किया था.
राजकुमार ने बताया कि शुरू में उनके पास केवल एक ही बेलर मशीन हुआ करती थी. अब 10 बेलर मशीन हैं। पहले वे एक बेलर मशीन और ट्रैक्टर-ट्राली के साथ अपने कार्य को अंजाम दिया करते थे। उस समय मदद के लिए न तो कोई मजदूर था और न ही कोई सहयोगी। वे अकेले कार्य किया करते थे. रामकुमार ने बताया कि वे हर सीजन में अपनी आमदनी निकालने के बाद 40 से 50 लाख रुपये कमा लेते हैं। यही नहीं, इस कार्य के तहत 300 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. वे पराली को कांगथली और पिहोवा स्थित बिजली बनाने वाली कंपनी को बेचा करते हैं.
HIGHLIGHTS
- धान के मौसम में वह करीब 50 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं
- पराली को कांगथली और पिहोवा स्थित बिजली बनाने वाली कंपनी को बेचा करते हैं
Source : News Nation Bureau