नूंह में ब्रजमंडल यात्रा पर पथराव के बाद भड़की हिंसा का शिकार हुए टोहाना के गांव फतेहपुरी निवासी होमगार्ड जवान गुरसेवक का पार्थिव शरीर देर रात गांव पहुंचा. रात भर पूरा गांव यहां उमड़ पड़ा और परिजनों को ढाढस बंधाता रहा. आज सुबह घर से जवान की अंतिम यात्रा शुरू की गई और लोगों ने नम आंखों से गुरसेवक को विदाई दी. अंतिम संस्कार के वक्त सलामी तो दी गई, लेकिन पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से नहीं लपेटा गया. इस पर ग्रामीणों व होमगार्ड के अन्य जवानों ने विरोध जताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया, जिस कारण घंटाभर के लिए अंतिम संस्कार रोक दिया गया. इस बीच जवान को अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों के साथ राजनीति दलों के नेता भी शामिल हुए.
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बाद में एसपी ने आश्वस्त किया और तिरंगा को मंगवाया. तिरंगे को जवान के ऊपर ओढाया गया. इसके बाद ही ग्रामीण शांत हुए. इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की गई. गुरसेवक के 4 वर्षीय बेटे एकम ने मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार से पहले अंतिम अरदास की गई, फिर सलामी दी गई. इसी दौरान ग्रामीणों व होमगार्ड के जवानों ने तिरंगा न होने पर विरोध शुरू कर दिया.
ग्रामीणों का कहना था कि सभी दलों द्वारा वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. तिरंगा ना लाकर उनके जख्मों पर बढ़ा दिया है. वहीं अपने साथी को विदा देने पहुंचे अन्य होम गार्ड जवानों ने भी इस पर ऐतराज व्यक्त किया है. अंतिम संस्कार के वक्त सलामी दी गई, मगर पार्थिव देह के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा नहीं लाया गया. इस पर ग्रामीणों व होमगार्ड के अन्य जवानों ने विरोध जताया.
ग्रामीणों का कहना था कि होमगार्ड जवान को अभी तक शहीद का दर्जा नहीं दिया गया, न ही तिरंगे में लाया गया, यह उनके जवान के साथ नाइंसाफी है. होमगार्ड तन-मन से पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होता है और अब भेदभाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि पार्थिव शरीर तिरंगे में लाया जाएगा, लेकिन इसको लेकर जिसकी ड्यूटी थी और जो तिरंगा नहीं लाया, उस पर सख्त कार्रवाई की जाए. यह मजाक नहीं, यह शहीदी का अपमान है.
Source : News Nation Bureau