हिमाचल प्रदेश सरकार ने भगवद गीता को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है. हिमाचल प्रदेश फैकल्टी स्कूलिंग बोर्ड (HPSEB) इस सत्र से कक्षा 3 से संस्कृत और कक्षा 6 से वैदिक अंकगणित को पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहा है. बोर्ड के इस फैसले पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं और शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाया है. इसके अलावा, राज्य की योजना अगले वर्ष से कक्षा 9 से 11 तक के छात्रों को भगवद गीता का ज्ञान देने की है.
सरकार के फैसले पर विपक्ष हमलावर
विपक्ष ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि बच्चों को अंग्रेजी, अंकगणित और विज्ञान पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के बजाय सरकार शिक्षा का भगवाकरण करने का प्रयास कर रही है. इसे लेकर लगातार विपक्षी दल हिमाचल सरकार पर हमलावर हैं.
'मूल्य आधारित किताबों को शामिल करने में कुछ गलत नहीं'
बहरहाल, राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर का मानना है कि मूल्यों पर आधारित किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करने में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों को उनकी परंपरा के प्रति जागरुक करना है. ठाकुर ने कहा कि भगवत गीता को संस्कृत और हिंदी में कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा. इसके अतिरिक्त संस्कृत भाषा को तीसरी कक्षा से लॉन्च किया जाएगा, क्योंकि यह शब्दावली, साहित्य और मूल्यों में समृद्ध है. बता दें कि इससे पहले गुजरात सरकार ने स्कूल सिलेबस में भगवद गीता को शामिल किया था. गुजरात सरकार ने कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को इस साल से भगवद गीता पढ़ाने का फैसला किया है.
भगवद गीता की पढ़ाई शुरू करने में लगेगा समय
एचपीएसईबी के अध्यक्ष सुरेश कुमार सोनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बोर्ड ने सभी सरकारी और बोर्ड से संबद्ध कॉलेजों में संस्कृत और वैदिक गणित पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है. लेकिन भगवद गीता की पढ़ाई शुरू करने में समय लगेगा.
HIGHLIGHTS
- हिमाचल के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी श्रीमद्भगवतगीता
- कांग्रेस ने सरकार पर बोला तीखा हमला
- वैदिक गणित, संस्कृति की शिक्षा होगी शुरू
Source : News Nation Bureau