हिमाचल प्रदेश में बिहार की तरह चारा घोटाले का मामला सामने आया है. कैग रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी अफसर पशुओं के चारे का बजट डकार गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी खजाने में 202 करोड़ रुपये का गबन किया गया, जबकि 116 करोड़ रुपये का गैर जरूरी भुगतान भी कर दिया गया. मानसून सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सीएजी की एक रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. इस रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग में 99.71 लाख रुपये जबकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में 1.13 करोड़ का गबन हुआ.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल वर्दी के कपडे़ के परीक्षण में भी 1.62 करोड़ रुपये खर्च कर लैब को मनमाने तरीके से फायदा पहुंचाया गया है. इसमें करीब 99.71 लाख रुपये के गबन की जानकारी सामने आई है. इतना ही नहीं रिपोर्ट में सामने आया है कि शिक्षा विभाग की निगरानी की कमी से स्टाफ क्वार्टर यानी कर्मचारी आवास गृह में नागरिक सुविधाओं को नामंजूरी दी गई, जिससे यह 49 महीने से अधिक वक्त तब बंद रहा. इससे 2.27 करोड़ रुपये का गैरजरूरी व्यय हुआ है. आपदा के लिए रखी 14.69 करोड़ की राशि का भी दुरुपयोग किया गया है.
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10.61 लाख का गबन चूजों की बिक्री से
रिपोर्ट में सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग में कुल 99.71 लाख का गबन हुआ है. पोल्ट्री फार्म नाहन में चूजों की बिक्री से 10.61 लाख का राशि की आय का अधीक्षक ने गबन किया है. पशु आहार योजना के तहत 7.20 लाख का गबन किया गया है. कृषक बकरी पालन योजना में लाभार्थी के अंश के रूप में 7.20 लाख का घोटाला हुआ है.
पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण में देरी से 99.91 लाख का व्यय हुआ निष्फल
लाहौल स्पीति जिले में पॉलीटेक्निक कॉलेज के निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण से पूर्व कार्य स्थल की व्यवहार्यता जांचने में तकनीकी शिक्षा विभाग की विफलता और वैकल्पिक कार्य स्थल पर भूमि की पहचान में देरी के चलते 99.91 लाख रुपये का निष्फल व्यय हुआ. इस कारण सात करोड़ रुपये की निधियां भी अवरुद्ध हुईं. पॉलीटेक्निक का नौ से अधिक वर्षों तक निर्माण नहीं हुआ.
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विश्वविद्यालय में हुआ प्रोस्पेक्टस घोटाला
कैग रिपोर्ट में सामने आया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षण एवं मुक्त अध्ययन केंद्र (इक्डोल) में हुए 1.13 करोड़ के प्रोस्पेक्टस घोटाले का भी खुलासा किया गया. विश्वविद्यालट की लेखा नियमावली का उल्लंघन करते हुए केंद्र ने वर्ष 2011 से 2018 के दौरान न तो कैश बुक को दुरुस्त किया और न ही बैंक के साथ प्रोस्पेक्टस बिक्री की प्राप्तियों का मिलान किया. रिपोर्ट में सामने आया कि बैंक में जमा की राशि वास्तविक प्रोस्पेक्टस की बिक्री से प्राप्त वास्तविक राशि की तुलना कम थी. कैग ने कुल 1.13 करोड़ का गबन को पकड़ा है.