हिमाचल प्रदेश में हाल ही में 'समोसा कांड' के नाम से सुर्खियों में आए मामले पर अब सियासत का रंग चढ़ चुका है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार, नरेश चौहान ने इस मुद्दे को लेकर सरकार का पक्ष रखा और साफ किया कि सरकार ने इस मामले को लेकर किसी भी जांच के आदेश नहीं दिए थे. उनका कहना है कि सीआईडी विभाग अपने स्तर पर ही इस मामले की जांच कर रहा है, और इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है.
सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं
नरेश चौहान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "समोसा कांड से सरकार का कोई संबंध नहीं है. यह महज एक गलत प्रचार है जिसे राजनीतिक मकसद से फैलाया जा रहा है." उन्होंने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री या राज्य सरकार ने इस मामले की सीआईडी जांच के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं. उनका कहना था कि यह मामला पुलिस विभाग के तहत अपने स्तर पर चल रहा है, और सीआईडी द्वारा इसकी जांच की जा रही है.
सीआईडी जांच पर बीजेपी का विरोध
इसी बीच, मामले की सीआईडी जांच के खिलाफ बीजेपी ने शिमला में जमकर विरोध प्रदर्शन किया है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है और सीआईडी जांच केवल विपक्षी दलों को परेशान करने का एक तरीका है. पार्टी ने इस मुद्दे को 'सियासी रंग' देने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि सरकार ने जानबूझकर मामले की जांच के लिए सीआईडी को सक्रिय किया है, ताकि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा सके.
समोसा कांड को लेकर पूरा मामला
समोसा कांड के बारे में अभी तक बहुत अधिक जानकारी नहीं आई है, लेकिन यह मुद्दा मीडिया में तब उछला जब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि सीएम के लिए ऑर्डर किए गए समोसे उनके सुरक्षाकर्मियों में बांट दिए गए, जिससे सीएस साहब नाराज हो गए और उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों को निलंबित कर दिया. साथ ही इसकी जांच के लिए सीआईडी विभाग को जांच के लिए आदेश दिया गया. यह भी दावा किया गया कि कुछ सियासी शक्तियां इस घटनाक्रम का फायदा उठा रही हैं. हालांकि, अब तक यह मामला स्पष्ट नहीं हो सका है कि समोसा कांड वास्तव में क्या था और इसकी सच्चाई क्या है.