हाल ही में हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तस्वीरों को लेकर एक अनोखा फरमान जारी किया गया है. समोसा कांड के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है कि अब मुख्यमंत्री की कोई भी तस्वीर बिना अनुमति के सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी. यह आदेश सरकारी विभागों और एजेंसियों को निर्देशित करता है कि वे मुख्यमंत्री की तस्वीरें जारी करने से पहले सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक (DIPR) से मंजूरी लें.
तस्वीरों को लेकर चिंताएं और संदेह
पत्र में इस बारे में चिंता जताई गई है कि कुछ तस्वीरें मुख्यमंत्री के अनुशासन या हाव-भाव को गलत तरीके से प्रस्तुत कर सकती हैं, जिससे उनकी छवि को नुकसान हो सकता है. DIPR ने यह भी कहा कि इन तस्वीरों के अनियमित प्रसार के कारण दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं, जो न केवल मुख्यमंत्री की छवि को बल्कि राज्य सरकार की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकते हैं.
सरकारी सचिवों को भेजा गया पत्र
सरकारी सचिवों और विभागीय प्रमुखों को भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मीडिया को बिना पूर्व स्वीकृति के मुख्यमंत्री की तस्वीरें जारी की जा रही थीं. यह स्थिति अब नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस की गई, ताकि सरकार की छवि पर कोई नकारात्मक असर न पड़े.
समोसा कांड विवाद का कारण
यह फरमान तब आया है जब हिमाचल प्रदेश में हाल ही में "समोसा कांड" हुआ, जिसने राज्य सरकार को चौकस कर दिया. सीएम सुक्खू एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें होटल रेडिसन से समोसे और केक मंगाए गए थे. ये खाद्य सामग्री सीनियर अधिकारियों के लिए थी, लेकिन एक गलतफहमी के कारण सुरक्षाकर्मियों को समोसा बांट दिए गए. इस घटना ने एक बवाल खड़ा कर दिया, और इसके बाद CID ने जांच शुरू कर दी.
विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना दिया
जांच रिपोर्ट में इसे "सरकार विरोधी कृत्य" बताया गया, और इसके बाद विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया. विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि सीएम के समोसे कोई और खा गया, तो इस पर सीबीआई जांच की जा रही है. इसके बाद मुख्यमंत्री, सरकारी जनसंपर्क अधिकारी और CID के अधिकारी ने सफाई दी, लेकिन फिर भी विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटा हुआ है.
सावधानी बरतने की जरूरत
समोसा कांड के बाद, राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में इस तरह के विवाद न उभरें, सीएम की तस्वीरों और सरकारी कार्यक्रमों की सही तरीके से निगरानी करने का निर्णय लिया. यह फरमान यह भी दर्शाता है कि सरकार अब अपनी छवि को लेकर बेहद सतर्क हो गई है, और किसी भी प्रकार के अप्रिय घटनाक्रम से बचने के लिए कदम उठा रही है.
सरकारी विभागों को निर्देश
इस आदेश के बाद, सरकारी विभागों को यह निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी सरकारी कार्यक्रम में ली गई मुख्यमंत्री की तस्वीरों को सार्वजनिक करने से पहले DIPR से अनुमति लें. यह कदम सरकार की छवि और उसकी कार्यप्रणाली के प्रति उनकी जिम्मेदारी को साफ तौर पर दर्शाता है.