Himachal Pradesh HIV News: हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान सामान्यत: कई बीमारियों का प्रकोप देखने को मिलता है, लेकिन एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में एचआईवी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में कुल 5,764 एचआईवी मरीज दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी और ऊना जिलों में स्थित हैं. इन जिलों में सबसे अधिक एचआईवी मरीजों की संख्या होने का मुख्य कारण इनकी जनसंख्या का अधिक होना माना जा रहा है.
कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी में सबसे ज्यादा मरीज
राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के एक अधिकारी के अनुसार, कांगड़ा जिले में सबसे अधिक 1,562 एचआईवी मरीज हैं, उसके बाद हमीरपुर जिले में 1,037, मंडी जिले में 738 और ऊना जिले में 636 मरीज पाए गए हैं. इसके अलावा, शिमला में 306 और लाहौल-स्पीति जिले में सबसे कम, केवल 7 एचआईवी मरीज हैं. कुल 5,764 एचआईवी मरीजों में से 53.5 प्रतिशत (3,087) पुरुष हैं, जबकि 46.3 प्रतिशत (2,672) महिलाएं हैं. इसके अलावा, राज्य में पांच ट्रांसजेंडर भी एचआईवी से पीड़ित हैं.
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आयु वर्ग के अनुसार एचआईवी मरीजों की संख्या
आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि एचआईवी मरीजों की संख्या आयु वर्ग के अनुसार भी विभाजित की गई है. सबसे अधिक 2,877 मरीज 31-45 वर्ष आयु वर्ग के हैं, जबकि 1,240 मरीज 16-30 वर्ष आयु वर्ग के हैं. इसके अलावा, 1,218 मरीज 46-60 वर्ष के हैं, 293 मरीज 0-15 वर्ष के हैं, और 136 मरीज 61-75 वर्ष आयु वर्ग के हैं.
वहीं विशेष रूप से, 0-15 वर्ष आयु वर्ग के 165 लड़के और 128 लड़कियां एचआईवी से पीड़ित हैं. वहीं, 16-30 आयु वर्ग में 683 पुरुष और 556 महिलाएं हैं, जबकि 31-45 आयु वर्ग में 1,464 पुरुष और 1,410 महिलाएं हैं. 46-60 वर्ष आयु वर्ग में 694 पुरुष और 523 महिलाएं एचआईवी संक्रमित हैं.
जागरूकता और इलाज के प्रयास
राज्य में एचआईवी से पीड़ित लोगों को इलाज प्रदान करने के लिए सात एकीकृत एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी केंद्र (एटीसी) स्थापित किए गए हैं. हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक, राजीव कुमार, ने कहा कि राज्य में एचआईवी मरीजों की संख्या कम है, लेकिन इसके बावजूद नई पीढ़ी को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी बताया कि ट्रक ड्राइवर, टैक्सी ड्राइवर और यौनकर्मी एड्स के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन वर्गों में विशेष रूप से जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता
इसके अलावा आपको बता दें कि राजीव कुमार ने कहा कि आने वाले अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर एचआईवी/एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इस प्रकार के कार्यक्रमों से नई पीढ़ी को एचआईवी के प्रति जागरूक किया जाएगा, ताकि वे इस घातक बीमारी से बच सकें.