गृह मंत्री अमित शाह से मेरी बात हुई. उन्होंने कहा है कि एनडीआरएफ, आईटीबीपी के साथ हेलीकॉप्टर और अन्य सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी. यह एक बड़ी प्राकृतिक आपदा है, ऐसा बदल फटना मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा, इसमें राजनीति को छोड़कर केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना चाहिए. ये बात हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखबिंदर सिंह सुक्खू ने न्यूज नेशन से बातचीत के दौरान कही.राज्य सरकार की तरफ से यह जरूर कहा गया था की नदी नाले 50 मीटर के आसपास नया निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन शिमला और कल्लू के बीच रामपुर का यह निर्माण कार्य 40 साल पुराना है. यहां मैंने देखा किस तरीके से स्कूल से लेकर अस्पताल ढह चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि वह आपदा के बाद आर्थिक पैकेज का आकलन कर रहे हैं. मुआवजे भी दिया जाएगा. फिलहाल अभी भी आने वाला एक महीना हिमाचल प्रदेश के लिए खतरनाक है. जिन लोगों के घर बर्बाद हो चुके हैं उन्हें 5000 रुपये 3 महीने तक का किराया राज्य सरकार देगी. खाने के समान से लेकर गैस का सिलेंडर भी उपलब्ध कराया जाएगा. बता दें कि गुरुवार को शिमला के रामपुर, मंडी ज़िले की पधर तहसील और कुल्लू के गांव जाओन के निरमंड में बादल फटने से 50 से अधिक लोग लापता हैं.
बच्चे जिन्होंने अपने सहपाठियों को सदा के लिए खो दिया
1 अगस्त रात 3:00 बजे आई आपदा के समय स्कूल बंद था, लेकिन यहां पढ़ने वाले बच्चे जो पड़ोस के घरों में रहते थे. उनका घर सतलुज की सहायक धारा में बह गया. आठ बच्चे लापता हैं. जिनकी मिलने की संभावना अब धूमिल होती नजर आ रही है. न्यूज़ नेशन में उनके सहपाठियों से बात की यह बच्चे बताते हैं कि जहां अब दलदल है, यह कभी स्कूल का प्लेग्राउंड हुआ करता था ,यह बच्चे खेलते थे. सुबह की प्रार्थना भी करते थे ,लेकिन अब वह सब कुछ किसी सपने जैसा चकनाचूर हो चुका है.
बच्चों ने बताया कि वह अभी भी डरे हुए हैं, रात के समय बहुत तेज आवाज में आई खिड़कियां हिलने लगी, ऐसा लगा कि कोई बड़ा भूकंप आया है या पहाड़ ही फटने वाला है. वह डर अभी भी इनके जहां में ताजा है और दुख इस बात का की अब यह किस स्कूल में पढ़ेंगे, जो स्टूडेंट उनके कभी सहपाठी हुआ करते थे, अब शायद उन्हें कभी नजर नहीं आएंगे, उनकी मौत का दुख और एक तारीख की आपदा की दहशत इन बच्चों की आंखों में साफ-साफ नजर आती है.
प्रिंसिपल ठाकुर ने दिखाएं स्कूल के हालात
स्कूल के प्रिंसिपल के साथ न्यूज़ नेशन संवादाता राहुल डबास दलदल के बीच से कैमरा सहयोगी जयराम के साथ खंडर हो चुके विद्यालय पहुंचे. यहां अब सिर्फ मां सरस्वती का छोटा मंदिर ही शेष है ,जहां कभी बच्चे ज्ञान के अर्जन के लिए प्रार्थना किया करते होंगे. यहां कभी दो मंजिल ऊंचा स्कूल हुआ करता था एक बड़ा प्लेग्राउंड था. प्रिंसिपल के ऑफिस में केवल पुराने मेडल और काफी शेष रह गए हैं, बाकी सब कुछ जल प्रलय में तबाह हो चुका है. स्कूल का ग्राउंड फ्लोर दलदल में डूब चुका है, ऊपर जाने वाली सिढ़िया भी दलदल में फंस चुकी है.