हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के कुलदीप कुमार सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. वह ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत गुम्मर के रहने वाला है. कुलदीप की खबर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. गाय बेचकर बच्चों की पढाई के लिए स्मार्ट फोन खरीदने की खबर इन दिनों खूब वायरल हो रही है. लेकिन जब कांगड़ा प्रशासन ने इसकी तहकिकात की तो सच कुछ और ही निकला. हालांकि, हकीकत में कुलदीप कुमार के पास 2 गाय, 2 भैंस, 2 दो कटड़ियां, 1 भैंसा यानी कुल 7 पशु हैं. 7 पशुओं का मालिक कुलदीप दूध बेचकर परिवार का पालन पोषण कर रहा है. जुलाई माह में एक गाय उसने, अपने ही गांव के सुरेन्द्र मोहन को स्वेच्छा से 6 हजार में बेची थी. क्योंकि बरसात में ज्यादा पशु बांधने का उसके पास कोई भी प्रावधान नहीं है.
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कुलदीप के अकाउंट में हजारों रुपये अब तक जमा हो चुके
कुलदीप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में शिक्षा दिला रहा है, पारिवारिक विवाद के चलते घर में ना रहकर गौशाला में अपने परिवार के रहने की व्यवस्था बना रखी है. सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने के बाद कुलदीप के अकाउंट में हजारों रुपये अब तक जमा हो चुके हैं. जब यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो स्थानीय प्रशासन ने उसकी जरूरी मदद के लिए घर का दौरा किया. साथ ही पूरी जानकारी भी जुटाई है. इस जांच में पाया गया कि कुलदीप कुमार ने बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 3 महीने पहले 30 अप्रैल 2020 को मोबाइल खरीदा था, जबकि गाय उसने 10 दिन पहले ही जुलाई महीने में 6 हजार रुपये में बेची थी. जांच में ये भी पाया गया कि कुलदीप कुमार का नाम स्थानीय पंचायत ने प्रधानमंत्री आवास योजना में उसे नए मकान के निर्माण लिए नामित किया गया है.
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सोशल मीडिया में दिखाई जा रही खबर, तथ्यों से कोसों दूर
एक बड़े हिंदी वेबसाइट के अनुसार जिला कांगड़ा उपायुक्त राकेश प्रजापति से जब इस बारे बात कि गई तो उन्होंने बताया कि जो भी खबर चलाई जा रही है वह तथ्यों से बहुत दूर है. उन्होंने बताया कि उपमंडल जवालामुखी के एसडीएम और तहसीलदार इस परिवार के बारे पूरी तहकीकात कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि मोबाइल आन रिकॉर्ड अप्रैल महीने ख़रीदा गया है. गाय बेचने के पीछे मंशा अलग ही थी. उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन कि तरफ से पेशकश भी की गई कि जो गाय बेची है, उसे खरीदकर उस परिवार को वापिस दे देते हैं. उन्होंने कहा जो मीडिया और सोशल मीडिया में खबर दिखाई जा रही है, वो तथ्यों से कोसों दूर हैं.