Himachal News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य की खनन नीति में अहम संशोधन किए हैं. गुरुवार को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में इस संशोधन को मंजूरी दी गई. इस नए संशोधन के तहत अब राज्य में निजी भूमि पर भी खनन की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि भूमि मालिक अपनी सहमति दे. पहले की खनन नीति में निजी भूमि पर खनन की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब इस नए प्रावधान से भूमि मालिकों को भी आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है.
निजी भूमि पर खनन से भूमि मालिकों को होगा सीधा लाभ
आपको बता दें कि संशोधित नीति के तहत, निजी भूमि पर खनन के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इस नीलामी से प्राप्त होने वाली वार्षिक बोली राशि का 80 फीसदी हिस्सा सीधे भूमि मालिकों को दिया जाएगा. इससे भूमि मालिकों को अपनी जमीन के जरिए अच्छी-खासी आय प्राप्त हो सकेगी. इसके साथ ही राज्य सरकार और भूमि मालिक दोनों ही इस नई नीति का फायदा उठा सकेंगे.
यह भी पढ़ें: CM योगी ने युवाओं को लेकर किया बड़ा ऐलान, इस योजना से इतने लोगों को मिलेगा लाभ
नदी तल में खनन के लिए मशीनरी के उपयोग को मिली मंजूरी
वहीं खनिजों की बढ़ती मांग और सतत खनन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने नदी तल में खनन के लिए मशीनरी के उपयोग की भी अनुमति दी है. पहले की नीति में यह अनुमति नहीं थी, लेकिन अब संशोधन के बाद नदी तल की गहराई को एक मीटर से बढ़ाकर दो मीटर किया गया है. मानसून के बाद कृषि भूमि से भी दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति दी गई है, जिसे गैर-खनन गतिविधि के रूप में माना जाएगा.
प्रोसेसिंग फीस और नए शुल्कों का प्रावधान
इसके अलावा, नए संशोधन में कुछ नए शुल्क भी लगाए गए हैं. इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क के रूप में 5 रुपये प्रति टन और दूध सेस के रूप में 2 रुपये प्रति टन शुल्क लागू किया गया है. इन गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के उपयोग के लिए सरकार को रॉयल्टी का 75 प्रतिशत यानी 140 रुपये प्रति टन प्रसंस्करण शुल्क मिलेगा.
संशोधन से राज्य के खनन क्षेत्र में आएगा नया मोड़
वहीं आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश की इस नई खनन नीति में किए गए संशोधन राज्य के खनन क्षेत्र में एक नया मोड़ ला सकते हैं। इस नीति के तहत, राज्य सरकार जहां एक तरफ खनिज संसाधनों का उपयोग बढ़ाएगी, वहीं दूसरी तरफ भूमि मालिकों को भी खनन से आर्थिक लाभ मिलेगा. इससे राज्य में खनन की गतिविधियों को व्यवस्थित, वैज्ञानिक और सतत रूप से बढ़ावा मिलेगा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.