जम्मू कश्मीर में सामान्य हिंदुओं के खिलाफ अचानक बढ़ी आतंकी घटनाओं ने घाटी के वातावरण को फिर से असुरक्षित बना दिया है। कश्मीर पंडित पलायन की राह पर है तो वहीं सुरक्षा एजेंसियां बेहद चौकन्ना, गृह मंत्रालय में बैठकों का दौर जारी है। ऐसे ही हालात पिछले साल अक्टूबर के महीने में भी पैदा हुए थे जिसे समय रहते नियंत्रण पाया गया। घाटी में फिर से अमन की हवा चली और इन खुली हवाओं में आजादी की सांस लेने के लिए भारी संख्या में पर्यटक उमड़ पड़े। जनवरी से लेकर मई महीने तक लगभग 10 लाख पर्यटक कश्मीर घाटी में आए और फिर से कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री में नई जान आई। कश्मीर की बदलती ये फिजा दहशगर्दो को रास नहीं आई और फिर से इंसानियत के खिलाफ आतंक का माहौल बनना शुरू हो गया। कुलगाम में हुए बैंक अधिकारी की नृशंस हत्या के बाद कश्मीर में भय का माहौल और बढ़ गया।
इससे पहले एक स्कूल टीचर की हत्या और हिंदू सरकारी कर्मचारी की हत्या हुई थी। पिछले एक महीने में 18 से ज्यादा अल्पसंख्यकों को घाटी में निशाना बनाया जा चुका है। चुन चुन कर जिस तरह से हिंदू अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है उसके पीछे सूत्रों की माने तो बड़े आतंकी संगठन के ट्रेंड आतंकी नहीं बल्कि लोकल अपराधियों को लो कॉस्ट पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा जा रहा है। हाइब्रिड टेरोरिज्म के नाम से परिभाषित यह मॉड्यूल हाल के महीनों में काफी बढ़ा है ताकि आतंक का मकसद भी पूरा हो और इस तरह के आतंकी घटना को अंजाम देने वाला आसानी से सुरक्षित बच निकले। गवर्मेंट सोर्सेज की माने तो घाटी में अमन न पड़ोसी पाकिस्तान को रास आ रहा है और ना ही कश्मीर के उन राजनैतिक घरानों को जो कश्मीर पर हुकूमत करना अपना अधिकार समझते है। धारा 370 की समाप्ति के बाद कश्मीर में विकास और व्यवस्था पटरी पर लौटी तो फिर से अमन की आस में आम आवाम हो या पर्यटक दोनो ने चैन और सुकून की सांस लेनी शुरू की और इन्ही हवाओं में बारूद भरकर माहौल को बिगाड़ने का काम किया जा रहा है।
घाटी में हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्या का मकसद क्या है?
कोविड के कारण 2 साल बंद रही अमरनाथ यात्रा की तैयारिया जोर शोर से चल रहीं हैं। और गवर्नमेंट सोर्सेज की माने तो इस यात्रा से पहले आतंकी घाटी में भय का माहौल व्याप्त करना चाहते है। लश्कर ए तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन टीआरएफ ने अमरनाथ यात्रा पर धमकी भी जारी की है जिसके बाद यात्रा की सुरक्षित बनाने को लेकर एजेंसियां चौकन्ना है। दरअसल आतंकियों के आका को मालूम है की कश्मीर में पर्यटन और अमरनाथ यात्रा शांति पूर्वक चलने लगेगी तो घाटी में दहशतगर्दी का समूल नाश हो जायेगा। साथ ही घाटी की राजनैतिक विरासत संभालने वाले घराने भी जम्हूरियत के सामने बौने बन जायेंगे। इन्ही कारणों से एक तरफ पड़ोसी पाकिस्तान तो दूसरी तरफ घाटी में सत्ता के शहंशाह रहे बेहद परेशान है। हालाकि सूत्रों का कहना है की सरकार घाटी में सुरक्षा और विश्वास का माहौल को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठा रही है ताकि ऐसी घटनाओं पर ब्रेक लगे। साथ हीं कश्मीरी पंडितों के लिए सुरक्षा का विशेष इंतजाम भी किया जा रहा है जिससे पलायन की नौबत ना आये।
सरकार के सूत्रों ने इस बात से भी इंकार किया की घाटी में सरकारी पदों पर काम कर रहे कश्मीरी पंडितो को जम्मू ट्रांसफर किया जायेगा। सूत्रों की माने तो इस तरह के अफवाह को फैलाकर साजिशकर्ता एथनिक क्लिनसिंग के मकसद को पूरा करना चाहते है लेकिन इस तरह के नापाक मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
Source : Madhurendra Kumar