Jammu-Kashmir Vidhan Sabha Chunav 2024: किश्तवाड़ में बीजेपी के अंदर चल रही गहमागहमी के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता रॉकी गोस्वामी ने टिकट बंटवारे से असंतुष्ट होकर पार्टी छोड़ दी है. उन्होंने किश्तवाड़ की पैडर-नागसेनी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. यह निर्णय तब लिया गया जब बीजेपी ने इस सीट पर सुनील शर्मा को मैदान में उतारने का फैसला किया. रॉकी गोस्वामी इस फैसले से बेहद नाराज हैं और उन्होंने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
सुनील शर्मा पर आरोप, सुरक्षित सीट चुनने का आरोप
वहीं रॉकी गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि सुनील शर्मा, जो पहले किश्तवाड़ से चुनाव लड़ चुके हैं, हार के डर से पैडर-नागसेनी की सुरक्षित सीट चुनी है. गोस्वामी का कहना है कि इस फैसले ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद अहमद किचलू के लिए बिना किसी चुनौती के किश्तवाड़ में जीत हासिल करना आसान बना दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सुनील शर्मा ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए ऐसी रणनीति अपनाई, जिससे पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचा है.
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शहीद परिवारों का सम्मान और शगुन परिहार का मुद्दा
आपको बता दें कि रॉकी गोस्वामी ने शगुन परिहार के प्रति पार्टी के व्यवहार पर भी सवाल उठाए. शगुन के पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार, दोनों बीजेपी के नेता थे और 2018 में आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे. गोस्वामी ने सवाल उठाया कि अगर शहीदों का सम्मान करना था, तो शगुन परिहार को सुरक्षित सीट क्यों नहीं दी गई? उन्होंने आरोप लगाया कि किश्तवाड़ में सुनील शर्मा ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए शगुन परिहार को दरकिनार कर दिया और अपनी सीट सुरक्षित कर ली.
सुनील शर्मा पर 'वन-मैन शो' का आरोप
इसके अलावा आपको बता दें कि रॉकी गोस्वामी का पार्टी छोड़ने का यह निर्णय बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. उनका मानना है कि सुनील शर्मा के नेतृत्व में पार्टी जिले में कमजोर हो रही है और इसके परिणामस्वरूप नेशनल कॉन्फ्रेंस को फायदा हो सकता है. गोस्वामी का यह कदम बीजेपी के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जो कि पार्टी के भीतर चल रही खींचतान को उजागर करता है.
बहरहाल, रॉकी गोस्वामी का पार्टी छोड़ने का निर्णय निश्चित रूप से किश्तवाड़ और पैडर-नागसेनी विधानसभा क्षेत्रों में आगामी चुनावों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. अब देखना होगा कि इस घटनाक्रम का बीजेपी के स्थानीय और राज्य स्तर पर क्या असर पड़ता है.