जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) शैलेंद्र कुमार ने मंगलवार को कहा कि राज्य में 5 मार्च से निर्धारित पंचायत उपचुनाव को सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर में 12,500 से अधिक पंचायत सीटों पर 5 मार्च से आठ चरणों में उपचुनाव होने वाले थे. शैलेंद्र कुमार ने पंचायतों के उपचुनावों को सुरक्षा कारणों से 3 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा मामलों को लेकर गृह विभाग से मिली जानकारी के बाद यह कदम उठाया गया. पंचायत उपचुनाव 5 से 20 मार्च के बीच आठ चरण में होने वाले थे.
Office of the Election Authority, Chief Electoral Officer (J&K): After addressing all the concerns suitable at the earliest, possibly in 2-3 weeks, fresh schedule shall be notified. https://t.co/h1wMck6xpk
— ANI (@ANI) February 18, 2020
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि 15 और 17 फरवरी को अधिसूचनाएं पंचायत उप-चुनाव के लिए क्रमशः फेज 1 और 2 के लिए जारी की गई थी. 13 फरवरी को पंचायत-चुनावों के अन्य चरणों के लिए शेड्यूल जारी किया गया था. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जल्द से जल्द उपयुक्त सभी चिंताओं को दूर कर लिया जाएगा. 2-3 सप्ताह में ताजा कार्यक्रम अधिसूचित किया जाएगा. जल्द ही नई तारीखों का ऐलान किया जाएगा. सुरक्षा की दृष्टि से इसे टाल दिया गया है. लेकिन कुछ दिनों बाद जल्द ही नई घोषणा की जाएगी.
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वहीं इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया था, लेकिन पार्टी उसकी राह में अटकाए गए ‘रोड़े’ हटाना चाहती है, ताकि वह मुक्त रूप से चुनाव प्रचार कर सके. जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) शैलेंद्र कुमार को लिखे पत्र में नेकां के केंद्रीय सचिव रतन लाल गुप्ता ने कहा था कि पार्टी लोकतांत्रित प्रक्रिया की सख्त समर्थक है और वह 11,000 से अधिक सीटों पर पांच मार्च से आठ चरण में होने वाले चुनावों में हिस्सा लेना चाहती है. पत्र की एक प्रति मुख्य चुनाव आयुक्त को भी भेजी गई थी.
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पत्र में कहा गया था कि पार्टी के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला, उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, महासचिव अली मोहम्मद सागर समेत इसके शीर्ष नेताओं को जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिए जाने के कारण चुनाव में हिस्सा लेना व्यावहारिक रूप से पार्टी के लिए मुश्किल है. पत्र के अनुसार, इसलिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया और मौजूदा हालातों में चुनाव प्रचार असंभव है.