रमज़ान के पाक महीने को देखते हुए भारत ने भले ही एकतरफा युद्ध विराम की पहल की हो लेकिन पाकिस्तान की तरफ से जवाब में निराशा ही हाथ लगी। पाकिस्तान के इस रवैये से न केवल देशवासियों बल्कि हुक्मरानों को भी झटका लगा है।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने पाकिस्तान के इस रवैये पर निराशा ज़ाहिर करते हुए कहा, 'हमें लगा था कि रमज़ान के महीने में पाकी सीज़फ़ायर उल्लंघन कर ख़ून-खराबे में लिप्त नहीं होगी। हमलोग बॉर्डर भवन बनाने की दिशा में चर्चा कर रहे हैं जिससे कि गोलीबारी के हालात में आस-पास रह रहे लोग यहां आकर गुज़र-बसर कर सके।'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'रमजान के पाक महीने में पाकिस्तान जो कर रहा है वह बर्दाश्त करने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाक महीने में युद्ध विराम की घोषणा की है मगर पाकिस्तान इसका उल्लंघन कर रहा है।'
उन्होंने कहा, 'लगता है कि मुस्लिम देश होने के बावजूद पाकिस्तान को पाक महीने के प्रति कम सम्मान है। मुस्लिम इस महीने में अपना समय इबादत और पश्चाताप करने में बिताता है।'
वहीं पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान की तरफ से की जा रही गोलीबारी में जिन लोगों की जान गई है उसपर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'हाल ही में हुई गोलीबारी के दौरान जिन लोगों की जान गई है हम उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देंगे।'
मुफ़्ती ने आगे घाटी में शांति-बहाली को लेकर कहा, 'सभी देश शांति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और एकजुट हो रहे हैं लेकिन यह समझ नहीं आता की भारत-पाकिस्तान के बीच शांति कब होगी। हमलोग बॉर्डर बटालियन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जिसमें कि सीमा के पास रह रहे आम नागरिक भी रह पाएंगे।'
मुख्यमंत्री जम्मू जिले के आरएस पुरा सेक्टर में पीड़ित परिवारों के घर पहुंची और पाकिस्तानी रेंजर की गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को सांत्वना दी।
वहीं पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रही गोलीबारी को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा, 'हम लोग पाकिस्तान से उम्मीद नहीं कर सकते हैं। हमने अपने देश की सीमा के पास चलाए जा रहे सभी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं लेकिन सीमा पर हो रही गोलीबारी के जवाब में हमारी तरफ से भी मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।'
बता दें कि पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में सैन्य और असैन्य ठिकानों पर लगातार की जा रही गोलीबारी और बमबारी के कारण सीमावर्ती गावों से 40,000 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है।
पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों ने प्रशासन द्वारा बनाए गए अस्थाई शिविरों में शरण ली है, जबकि अधिकांश अन्य अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं।
हालांकि मवेशियों और घरों की रखवाली के लिए हर घर में एक पुरुष सदस्य को छोड़ दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि हालांकि बीएसएफ पाकिस्तान के हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आर एस पुरा, अरनिया, रामगढ़ और अन्य सेक्टरों से भारी संख्या में ग्रामीणों का पलायन जारी है।
पाकिस्तान की गोलाबारी में मंगलवार को आर एस पुरा और रामगढ़ सेक्टरों में 18 नागरिकों की जान चली गई थी। हमलों में ग्रामीणों के दर्जनों मवेशी भी मारे गए हैं और उनके घरों को भी भारी क्षति पहुंची है।
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Source : News Nation Bureau