कश्मीर घाटी से पंडितों के पलायन के 30 साल पूरे होने के मौके पर समुदाय के लोगों ने सरकार से घाटी में एक स्थान पर उन्हें बसाने की मांग की. ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस (एएसकेपीएस) के महासचिव टी के भट ने रविवार को कहा कि लगभग सभी कश्मीर पंडितों की भावना है कि घाटी में लौटने और पुनर्वास का एक ही विकल्प है कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ‘एक स्थान पर बसाना.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी मुख्य चिंता घाटी में समुदाय की सुरक्षा है.’
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सुरक्षा पहलु पर जोर देते हुए भट ने कहा, ‘आप हमारे घरों और कॉलोनियों की सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं... लेकिन प्रत्येक कश्मीरी पंडित को उस समय सुरक्षा देना संभव नहीं है, जब वे बाजार जा रहे हों. समुदाय के वापस जाने के लिए सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलु है.’ प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर बी एल जुत्शी ने कहा, ‘एक स्थान पर निवास से समुदाय का राजनीतिक सशक्तिकरण होगा और हम इस राजनीतिक सशक्तिकरण की उम्मीद कर रहे हैं.’
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उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए एक शहर बसाने के प्रस्ताव पर विचार किया था, लेकिन उसे न केवल अलगावादियों, बल्कि कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों के भी विरोध का सामना करना पड़ा था.
वहीं दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है. रविवार को इस प्रदर्शन में कुछ कश्मीरी पंडित भी शाहीन बाग पहुंचे और नारेबाजी करने लगे. कश्मीरी पंडित इस दौरान 'कश्मीरी पंडितों को न्याय दो' के नारे लगाने शुरू कर दिये थे. कश्मीरी पंडितों की इस नारेबाजी से नाराज होकर प्रदर्शनकारियों ने कश्मीरी पंडितों से झड़प हो गई देखते ही देखते यह झड़प हाथा-पाई में तब्दील हो गई. इस दौरान एक मुस्लिम प्रदर्शनकारी ने कहा कि पूरे देश को न्याय चाहिए सिर्फ कश्मीरी पंडितों को ही क्यों इसके बाद कश्मीरी पंडित चुप हो गए.
Source : Bhasha