नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) ने मंगलवार को कहा कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सबसे बड़ी पार्टी होगी. उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें (केंद्र) जवाबदेह ठहराया जाएगा. उन्हें लोगों के लिए काम करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें खेद है कि उनकी पार्टी ने 2018 में पंचायत चुनाव नहीं लड़ा था. अब्दुल्ला मंगलवार को संसदीय आउटरीच कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे.
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नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे खेद है कि मेरी पार्टी ने पंचायत चुनावों में भाग नहीं लिया. उन्होंने कहा कि ये राजनेता हैं जो देश के साथ खड़े हैं और जिन्हें आतंकवादियों ने निशाना बनाया है. उन्होंने कहा कि यह देश के लिए है कि वे उनकी रक्षा करें.
If free and fair elections are held, National Conference will be the biggest party in Jammu and Kashmir. They (Centre) will be held accountable tomorrow for what they have done. They have to work for the people: National Conference chief Farooq Abdullah in Srinagar pic.twitter.com/aVeB1SD3SC
— ANI (@ANI) August 31, 2021
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अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी आम जनता के फोन नहीं उठाते हैं. उन्होंने उपराज्यपाल से सरकारी अधिकारियों को यह आदेश देने के लिए कहा कि वे लोक सेवक हैं और लोगों के प्रति जवाबदेह हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही एक निर्वाचित सरकार होगी, जो सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाएगी.
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नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सितंबर 2018 में हुए पंचायत चुनावों में भाग नहीं लिया, जबकि पार्टी ने 2019 में हुए ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) चुनावों का बहिष्कार किया था. आपको बता दें कि पिछले दिनों केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir DDC Election) के पांच जिलों में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को रोकने के उद्देश्य से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की अध्यक्षता में पिछले साल 20 अक्टूबर को गठित कश्मीर्स पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने चार महीनों में ही दम तोड़ दिया था.
HIGHLIGHTS
- अब्दुल्ला को खेद है कि उनकी पार्टी ने 2018 में पंचायत चुनाव नहीं लड़ा था
- सरकारी अधिकारी आम जनता के फोन नहीं उठाते हैं
- जम्मू-कश्मीर में जल्द ही एक निर्वाचित सरकार होगी