जम्मू कश्मीर में जहां नॉन लोकल को वोटिंग राइट देने के अधिकार को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है तो वहीं इलेक्शन कमिशन की इस अनाउंसमेंट ने सालों से गुलामी की जिंदगी जी रहे वाल्मीकि समाज के लोगों की जिंदगी को रोशन कर दिया है. धारा 370 होने के कारण जम्मू कश्मीर में रह रहे वाल्मीकि समाज और वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी सालों से गुलामी की जिंदगी जी रहे थे, लेकिन इलेक्शन कमिशन द्वारा वोटिंग लिस्ट बनाने की शुरुआत के बाद अब इन्हें पहली बार जम्मू-कश्मीर में वोट देने का अधिकार मिलने जा रहा है.
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जम्मू की बात करे तो यहां करीब दस हजार से ज्यादा वाल्मीकि समाज के लोग रहते हैं. वाल्मीकि समाज के लोगों का कहना है कि वोटिंग राइट मिलने के बाद से ही उनके घरों में मिठाई बांटी जा रही है. आजादी के बाद से ही वो वोटिंग राइट मिलने का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में इतने साल जो इंतजार उन्हें करना पड़ा वो अब उनके बच्चों को नहीं करना पड़ेगा. उनका ये भी कहना है कि कुछ लोग इस बात को लेकर हो हल्ला भी मचा रहे हैं, जिससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जिस अधिकार का इंतजार वो सालों से कर रहे थे वो अब उन्हें मिल चुका है.
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वहीं, अगर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों की बात की जाए तो लागतार घमासान छिड़ा हुआ है. जहां एक तरफ फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को नॉन लोकल के वोटिंग राइट को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग की है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने मीटिंग कर रहे सभी दलों पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है.