जम्मू कश्मीर विधानसभा (Jammu Kashmir Assembly) भंग करने के पीछे राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने कुछ कारण गिनाए हैं. देर रात जारी बयान में विधानसभा भंग करने के कारणों को स्पष्ट किया गया है. बुधवार को बदलते घटनाक्रम में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के लीडर सज्जाद लोन (Sajjad Lone) ने भी बीजेपी (BJP) के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इससे जम्मू कश्मीर की राजनीति में कुछ देर के लिए सरगर्मी आ गई थी, लेकिन यह सरगर्मी अधिक देर तक नहीं रह सकी, क्योंकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने थोड़ी ही देर बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया. राज्यपाल ने ऐसा करने के पीछे संविधान के प्रावधानों का हवाला दिया है.
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इन चार कारणों से भंग की गई विधानसभा
- राज्यपाल ने दूसरा प्रमुख कारण परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधारा वाले दलों के गठबंधन से स्थाई सरकार बनने में बाधा को बताया है. राज्यपाल का कहना है कि दो विरोधी दलों के एक साथ आने से राज्य में स्थिर सरकार नहीं बन सकती. दूसरी ओर, संभावित गठबंधन में शामिल कुछ दल विधानसभा भंग करने की मांग कर रहे थे.
- तीसरे कारण में राज्यपाल ने बताया है कि पिछले कुछ वर्षों का अनुभव बताता है कि खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है. ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाय सत्ता हासिल करने की कोशिश है.
- पांचवें कारण में राज्यपाल का तर्क है कि व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन-देन होने की आशंका की खबरें हैं. ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं.
- छठा कारण यह बताया गया है कि जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था जहां सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है. ये बल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और अंतत: सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं.
Source : News Nation Bureau