जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी के पाकिस्तान से लगने वाले इंटरनेशनल बॉर्डर और LoC से सटे गांव के लोगों के लिए बड़ा सुरक्षा घेरा तैयार हो गया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu Kashmir Administration) ने बॉर्डर से सटे जीरो से तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव में प्रस्तावित 9505 बंकर में से 8500 बंकर तैयार कर दिए हैं. इन बंकर के बनने से बॉर्डर के लोगों को एक मजबूत सुरक्षा कवच मिल गया है.
इससे पहले पाकिस्तान की फायरिंग का शिकार होने वाले लोगों को गोलीबारी होने पर अपनी जान बचाने के लिए अपने गांव से पीछे भागना पड़ता था. साथ ही जो गांव वाले माल मवेलशों के लिए गांव में रहते थे कई बार फायरिंग का शिकार होकर घायल हो जाते थे या फिर उनकी जान भी चली जाती थी, लेकिन अब पाकिस्तान से फायरिंग और शेललिंग होने की सूरत में इन्हें अपने घरों को छोड़ कर भागना नहीं पड़ेगा. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बॉर्डर में इंडिविजुअल और कम्युनिटी बंकर तैयार किए है.
अगर बॉर्डर के इलाकों की बात करें तो पाकिस्तान की फायरिंग के चलते ऐसे कई गांव थे जिन्हें फायरिंग में माल मवेशियों के साथ अपनों को ही खोना पड़ता था. उन्हीं में से एक आरएस पूरा का जोहरा फार्म का गांव भी था, जहां पाकिस्तान की फायरिंग के कारण दो लोगों की जान चली गई थी. साथ ही कई लोग घायल भी हो गए थे. इसके इलावा 200 से ज्यादा मवेशी इस गांव में शेललिंग में मारे गए थे, लेकिन आज बॉर्डर के इस गांव की तस्वीर बदलाव गई है. प्रशासन द्वारा यहां 5 कम्युनिटी और 38 इंडिविजुअल बंकर बनाए गए हैं, जिसके बाद आज ये लोग पाकिस्तान की फायरिंग से बेखौफ होकर जी रहे हैं. इसके साथ ही सरकार ने इनके मवेशियों की इन्शुरन्स का भी इतंजाम किया है.
जोहरा फार्म से कुछ ही दूरी पर जीरो लाइन के नजदीक के सरदारी गांव की भी कुछ ऐसी ही कहानी थी. पाकिस्तान द्वारा कुछ साल पहले तक की जाने वाली फायरिंग में यहां के लोगों को बड़ा खामयाजा भुगतना पड़ता था. कई लोगों की फायरिंग में जान भी चली गई थी. लोग घरों को छोड़कर पीछे जाने के लिए मजबूर हो जाते थे, लेकिन आज इस गांव में कम्युनिटी बंकर बनने से काफी खुश हैं, लेकिन लोग चाहते हैं कि सरकार को अब लोगों के घरों में इंडिविजुअल बंकर भी देने चाहिए, ताकि अगर फायरिंग भी हो तो परिवार अपने बच्चों के साथ बंकर में शरण ले सके. इसी को देखते हुए सरकार ने 2 फेज में 15 हज़ार बंकर का प्रस्ताव भी ग्रह मंत्रालय को भेज दिया है, ताकि बॉर्डर के लोगों की बंकर की जरूरतों को पूरा किया जा सके.
वहीं, फायरिंग को ध्यान में रखते हुए खासतौर पर स्कूली बच्चों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखते हुए स्कूलों में भी बंकर की व्यवस्था की गई है. बीते सालों में ऐसे कुछ घटनाएं सामने आ चुकी हैं जब बॉर्डर के स्कूलों में पड़ने वाले स्कूली बच्चे पाकिस्तान की फायरिंग का शिकार हो चुके हैं. ऐसे में प्रशासन द्वारा जीरो लाइन के नज़दीक सभी सरकारी स्कूलों में बंकरों की व्यवस्था की है.
Source : Shahnwaz Khan