जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से यहां कई चीजें बदलने वाली है. राज्य के हित में सरकार कई योजनाओं को ला सकती है, जो यहां विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी. वहीं केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद अब दरबार मूव पर लगने वाले भारी भरकम खर्च में कटौती भी की जा सकती है. अभी दरबार मूव पर सालाना छह सौ करोड़ रुपये खर्च होता है जो राज्य पर भारी बोझ डालता है. इस खर्च पर लगाम लगाने के लिए बीजेपी समेत जम्मू केंद्रित कई पार्टीयां मांग करती रही है.
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अब अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद विधानसभा का कार्यकाल छह से पांच साल करने के साथ छह-छह महीने बाद दरबार मूव की प्रक्रिया में भी बदलाव किए जा सकते है. ये दोनों व्यवस्थाएं राज्य में दशकों से प्रभावी हैं और कश्मीर केंद्रित पार्टियों को भा रही हैं. अब 31 अक्टूबर के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनने से यहां पर 23 व्यवस्थाएं बदलेंगी. इनमें ये दोनों व्यवस्थाएं भी हो सकती हैं.
राज्य में 143 साल पुरानी दरबार मूव की परंपरा के तहत शीतकालीन राजधानी जम्मू में सचिवालय बंद होती थी. दरबार मूव परंपरा के तहत राज्य की राजधानी छह महीने जम्मू और छह महीने श्रीनगर रहती थी.
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बता दें कि दरबार मूव के साथ नागरिक सचिवालय और 38 विभागों के दस हजार से ज्यादा कर्मचारी छह-छह महीने के बाद जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू मूव होते हैं. दरबार मूव से जुड़े कर्मचारियों के अलावा साजो-सामान एक से दूसरे राजधानी शहर में पहुंचाने में 600 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यही नहीं, साल में करीब एक महीना नागरिक सचिवालय और दरबार मूव से जुड़े विभागों में आम लोगों का कामकाज भी नहीं हो पाता है.