जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव जून में रमजान के बाद कराए जा सकते हैं. चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, 4 जून के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. रिपब्लिक टीवी की खबर के अनुसार, चुनाव रमजान बाद और अमरनाथ यात्रा से पहले संपन्न होंगे. राज्य में 6 से 8 चरण में चुनाव कराए जा सकते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि 5 जून से 30 जून के बीच राज्य में विधानसभा चुनाव संभव हैं.
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लोस चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव की घोषणा क्यों नहीं?
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा था- जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हाल की हिंसात्मक घटनाओं और अन्य कारणों के चलते एक साथ (लोकसभा चुनाव के साथ) नहीं कराए जा सकते. लोकसभा चुनाव की घोषणा के समय अरोड़ा ने कहा था, 'आयोग राज्य के हालात के बारे में लगातार इनपुट ले रहा है. उम्मीदवारों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की जरूरतों और अन्य चुनौतियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में सिर्फ लोकसभा चुनाव कराने का निर्णय लिया.
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मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा था कि चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के लिए तीन विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त कर अधिक प्रभावी निगरानी करने का निर्णय लिया है. आयोग जम्मू-कश्मीर में नियमित और वास्तविक समयानुसार स्थिति की मॉनिटरिंग करेगी और विधानसभा चुनाव जल्द कराने के लिए सभी जरूरी जानकारियां लगातार लेता रहेगा. पर्यवेक्षकों में अमरजीत सिंह गिल (पूर्व डीजी, सीआरपीएफ, आईपीएस 1972 बैच), नूर मोहम्मद (आईएएस 1977) और विनोद जुत्शी (आईएएस 1982) शामिल हैं.
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लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव की घोषणा न होने पर राज्य के राजनीतिक दलों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया जाहिर की थी. नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए थे कि अगर राज्य में लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं.
Source : News Nation Bureau