जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई है. अगर मामला कोर्ट में नहीं जाता है तो वहां चुनाव कराना ही एकमात्र विकल्प होगा. अगर ऐसा होता है तो 2019 में लोकसभा के साथ ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. देश के अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव पांच साल में नहीं, बल्कि छह साल में कराए जाते हैं. राज्य में 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे, इस लिहाज से 2020 में चुनाव कराए जाने चाहिए थे, लेकिन राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग कर दिए जाने से अब चुनाव लोकसभा के साथ ही कराए जा सकते हैं.
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जम्मू कश्मीर में 2014 के चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, वहीं सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस की सरकार को जाना पड़ा था. चुनाव के एक साल बाद तक सरकार नहीं बनी और पहले राज्यपाल फिर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. 1 मार्च 2015 को राज्य में बीजेपी (BJP) के समर्थन से मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार बनी थी. राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शपथ ली थी. सईद की सरकार एक साल भी नहीं चली थी कि 7 जनवरी 2016 को मुफ्ती मोहम्मद सईद का दिल्ली के एम्स (AIIMS) में निधन हो गया. उसके बाद पीडीपी (PDP) और बीजेपी (BJP) के बीच गतिरोध पैदा हो जाने से सरकार बनाने में काफी पेचीदगी आई. इसलिए राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया. आखिरकार दो माह बाद 4 मार्च 2016 को महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. दो साल बाद पीडीपी और बीजेपी के रिश्तों में खटास आ गई और 19 जून 2018 को बीजेपी ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इस कारण राज्य में एक बार फिर राज्यपाल शासन लागू हो गया.
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राज्य में तब से राज्यपाल शासन लागू है. बीच-बीच में बीजेपी (BJP) के सरकार बनाने की कोशिशों की खबरें आती रहीं, लेकिन ऐसा हो न सका. बीजेपी घाटी से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाना चाह रही थी, जबकि घाटी में उसके एक भी विधायक नहीं थे. इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी की रणनीति सज्जाद लोन को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाने की योजना थी पर इसके लिए वह जरूरी नंबर (विधायकों की संख्या) का जुगाड़ नहीं कर पाई. बुधवार को अचानक खबरें आईं कि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस कांग्रेस मिलकर राज्य में सरकार बना सकते हैं. शाम होते-होते घटनाक्रम तेजी से बदला और महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की ओर से सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. हालांकि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभी समर्थन देने को लेकर फैसला ही नहीं हुआ है, हां सरकार बनाने को लेकर बातचीत की बात उन्होंने मानी. कुछ ही देर बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी, जिससे राज्य में चुनाव का रास्ता साफ हो गया. अब माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में विधानसभा के चुनाव होंगे.
Source : News Nation Bureau