जम्मू एवं कश्मीर बैंक के कॉर्पोरेट मुख्यालय पर शनिवार को लगभग 10 घंटे छापेमारी की कार्रवाई पूरी करने के बाद भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो (एसीबी) ने कहा कि उसने बैंक में कथित फर्जी नियुक्तियों से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री जब्त की है. एसीबी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, "एसीबी कश्मीर ने जम्मू एवं कश्मीर बैंक में की गई अवैध नियुक्तियों के संबंध में आरोपों की जांच करने के लिए एसीबी मुख्यालय जेएंडके में प्राप्त हुई एक लिखित शिकायत के परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया है. वहीं राज्य सरकार ने शनिवार को परवेज अहमद को जम्मू एवं कश्मीर बैंक के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक पद से हटा दिया.
तलाशी अभियान के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई
बयान में कहा गया है, "चूंकि शिकायत में बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों के आपराधिक कदाचार की बात है, जो भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा 5(1)(डी) के तहत आता है, लिहाजा श्रीनगर स्थित भट्राचार निवारक ब्यूरो के पुलिस थाने में एफआईआर संख्या 10/2019 दर्ज की गई और मामले की जांच की गई. बयान में कहा गया है कि प्राथमिकी दर्ज करने के तत्काल बाद जेएंडके बैंक मुख्यालय के कॉरपोरेट कार्यालय की तलाशी ली गई और तलाशी अभियान के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई.
परवेज अहमद अब बैंक के निदेशक मंडल में नहीं रहेंगे
शनिवार को जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया, "परवेज अहमद अब बैंक के निदेशक मंडल में नहीं रहेंगे. इसके परिणामस्वरूप अब वह बोर्ड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के पद पर भी नहीं रहेंगे. आदेश में आगे कहा गया, "आर.के. छिब्बर को बोर्ड में निदेशक के रूप में नामित किया गया है और आगे चलकर अंतरिम अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति की जा सकती है. बैंक के कंपनी सचिव को संबोधित आदेश तुरंत प्रभाव से लागू किया जाता है."
भारतीय रिजर्व बैंक के एजेंट के रूप में नामित
राज्य सरकार के पास जम्मू एवं कश्मीर बैंक की 59 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यह एकमात्र निजी क्षेत्र का बैंक है, जो बैंकिंग व्यवसाय के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के एजेंट के रूप में नामित है और सीबीडीटी के लिए केंद्रीय करों को इकट्ठा करने के अलावा केंद्र सरकार के बैंकिंग व्यवसाय को देखता है. बैंक को 1938 में शामिल करके इसे एनएसई और बीएसई में सूचीबद्ध किया गया था. राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) के छह महीने बाद यह कार्रवाई हुई, जिसने बैंक को पीएसयू के रूप में मानने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और इसे सूचना के अधिकार के दायरे में लाया गया.
Source : IANS