जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले की जमीन धंसने से 50 से अधिक घरों में दरारें दिखाई दीं. इसके अलावा यहां पर चार बिजली टावर, एक रिसीविंग स्टेशन और एक मुख्य सड़क ध्वस्त हो गई. प्रशासन को जब इसकी सूचना मिली तो रामबन के उपायुक्त बसीर-उल-हक चौधरी ने मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर पेरनोट गांव का दौरा किया. यहां पर प्रभावित परिवारों को मदद का आश्वासन दिया है. पेरनोट गांव में गुरुवार शाम को अचानक जमीन धसने की घटना सामने आई. इससे घरों में दरारें दिखाई देने लगीं. इसकी वजह से गूल तथा रामवन के बीच का सड़क मार्ग टूट गया. दरारों की वजह से कई परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा. इस बीच उपायुक्त चौधरी ने इलाके का मुआयना किया.
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उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर कहा, ‘यह एक प्राकृतिक आपदा है और जिले का प्रमुख होने के नाते मैं प्रभावित परिवारों को भोजन और आश्रय प्रदान करने का जिम्मा लेता हूं.’ जमीन धंसने की वजह को जानने के लिए भूविज्ञान विशेषज्ञों की एक टीम को बुलाया गया है. वहीं प्रभावित आबादी के पुनर्वास और जरूरी सेवाओं की बहाली को लेकर अधिकारियों की एक टीम को लगाया गया है.
मूलभूत सेवाओं को बहाल करना पहली प्राथमिकता
रामबन के उपायुक्त चौधरी के अनुसार जमीन अभी और धंसने की संभावना बनी हुई है. यहां पर बिजली जैसी मूलभूत सेवाओं को बहाल करना पहली प्राथमिकता है. हम पीड़ितों के लिए तंबू और अन्य सामान उपलब्ध कराने वाले हैं. इसके लिए चिकित्सा शिविर भी लगाए जाएंगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां के निवासी घबराएं नहीं. सभी के जीवन की सुरक्षा को लेकर एहतियाती कदम उठाए जाएंगे. स्थानीय स्वयंसेवक राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम के संग मिलकर क्षतिग्रस्त घरों से सामान निकालने में प्रभावित लोगों की सहायता की जाएगी.
कई वर्षों से पर्वतीय प्रदेशों में आ रही प्राकृतिक आपदा
बीते कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर सहित अन्य पर्वतीय प्रदेशों में जमीन धंसने और घरों में दरार आने की समस्या देखने को मिल रही है. इस तरह की घटनाओं से उत्तराखंड सबसे अधिक प्रभावित है. अब जम्मू-कश्मीर के रामबन में भी इस तरह के हालात देखने को मिल रहे हैं. प्राकृति आपदा की खबर मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो चुका है. प्रभावित लोगों की सहायता को लेकर व्यवस्थाएं बनना आरंभ हो चुकी हैं.
Source : News Nation Bureau