जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने से पहले ट्राइबल समुदाय एक ऐसा समुदाय था, जिसकी अनदेखी सालों से की जा रही थी. लेकिन, आर्टिकल 370 हटने के बाद अब सरकार ने पिछले तीन सालों में इस समुदाय और उनकी आने वाली पीढ़ी की तस्वीर बदल दी है. इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जम्मू में रविवार को ट्राइबल समुदाय के बच्चों को पहली बार मॉर्डन एजुकेशन से जोड़ने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा टैब (Mobile Tab) बांटे गए. जम्मू कश्मीर के अलग अलग हिस्सों में ट्राइबल हॉस्टल में पढ़ रहे करीब 1 हजार छात्रों को ये टैब दिए गए. इन टैब में प्री इंस्टॉल सीबीएसई सिलेबस के साथ स्टेट बोर्ड सिलेबस को डाला गया है. इन टैब को छात्र अवकाश के दौरान भी अपने साथ ले जा सकेंगे, ताकि वे घर बैठ कर भी पढ़ाई कर सके. खास बात ये है कि सरकार छात्रों के हॉस्टल से जाने के बाद ये टैब तोहफे के तौर पर दे रही है.
अगर ट्राइबल समुदाय की बात करे तो देश में जम्मू-कश्मीर में इनकी सबसे ज्यादा संख्या है. हर 6 महीने के बाद ये समुदाय एक जगह से दूसरी जगह अपने जानवरों के साथ माइग्रेट करता है. इस समुदाय के लोगों की लिटरेसी रेट मात्र 16 प्रतिशत है. सालों से हर राजनीतिक दल इस समुदाय के विकास को अनदेखी करता रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 जाने के बाद मोदी सरकार ने बजट का बड़ा हिस्सा इस समुदाय के लोगों को दिया है, जो अब जम्मू-कश्मीर सरकार धरातल तक पंहुचा रही है.
पिछले 3 सालों में सरकार ने ट्राइबल समुदाय के लिए कई बड़े काम किए हैं. पहली बार ट्राइबल समुदाय का सर्वे जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा करवाया गया है, ताकि उनकी परेशानियों और उनसे निपटने पर काम किया जा सके. ट्राइबल समुदाय के लोगों को उनकी पहचान के लिए पहली बार ट्राइबल सर्टिफिकेट भी इश्यू किए गए हैं, ताकि वे माइग्रेशन के दौरान होने वाली परेशानियों से बच सके. इसके साथ ही पहली बार सरकार ने ट्राइबल समुदाय के जानवरों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए बड़े ट्रक की भी व्यवस्था की है. ट्राइबल समुदाय के बच्चों के लिए 24 नए हॉस्टल, 50 करोड़ की स्कॉलरशिप, ट्यूशन फैसिलिटी, कोचिंग फैसिलिटी के साथ करियर कॉउंसलिंग का काम भी सरकार की ओर से किया जा रहा है. सरकार का संकल्प ये ही है कि ट्राइबल समुदाय को जल्द-से-जल्द मुख्य धारा से जोड़ा जा सके.
Source : Shahnwaz Khan